
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में शामिल होने का निमंत्रण नहीं मिला है। शिवसेना (यूबीटी) गुट प्रमुख ने शनिवार को कहा कि वह और उनकी पार्टी के नेता उस दिन नासिक में कालाराम मंदिर जाएंगे और गोदावरी नदी के तट पर ‘महा आरती’ करेंगे। अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर का अभिषेक समारोह होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत देश-विदेश से कई वीवीआईपी मेहमान ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में शामिल होंगे।
शिवसेना (यूबीटी) नेता ने कहा कि अयोध्या राम मंदिर का अभिषेक गौरव और स्वाभिमान का विषय है। उस दिन (22 जनवरी) शाम 6.30 बजे हम कालाराम मंदिर जाएंगे, जहां डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर और (समाज सुधारक) साने गुरुजी को विरोध प्रदर्शन करना था। शाम 7.30 बजे हम गोदावरी नदी के तट पर महाआरती करेंगे। उद्धव ने कहा कि मुझे अभी तक कोई निमंत्रण नहीं मिला है और मुझे अयोध्या आने के लिए किसी की जरूरत नहीं है क्योंकि रामलला सभी के हैं।’ जब भी मेरा मन होगा, मैं जाऊंगा। राम मंदिर आंदोलन में शिव सेना का बड़ा योगदान था।
कालाराम मंदिर का नाम काले पत्थर से बनी भगवान राम की मूर्ति से लिया गया है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम अपने वनवास के दौरान पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ पंचवटी में रुके थे। 1930 में, डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कालाराम मंदिर में दलितों के प्रवेश की मांग को लेकर एक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था। हाल ही में उद्धव ठाकरे ने कहा था कि उन्हें अध्योध्या जाने के लिए निमंत्रण की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि रामलला मेरे भी हैं। मैं जब चाहूं जा सकता हूं। मैं अभी जा सकता हूं, मैं कल जा सकता हूं। जब मैं मुख्यमंत्री बना तो अयोध्या गया। मैं उससे पहले भी अयोध्या गया था। हाँ, मुझे कोई निमंत्रण नहीं मिला है और मुझे इसकी आवश्यकता भी नहीं है। मेरा बस एक अनुरोध है कि इस आयोजन को राजनीतिक न बनाया जाए।
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