भारत में बहुत गहरी हैं कबड्डी खेल की जड़ें

कबड्डी अपने देश में मुख्यधारा का खेल है। अपनी लोकप्रियता के कारण आज भी यह खेल संपूर्ण विश्व में अपना दबदबा बनाये हुए। वैश्विक परिदृष्य में कबड्डी की सशक्त पहचान बन चुकी है। भारत में कबड्डी की जड़ें बहुत गहरी हैं। ऐसा माना जाता है कि कबड्डी की शुरुआत भारत में हुई है। सदियों की लंबी यात्रा करते हुए चुस्ती, फुर्ती और रणनीतिक कौशल के तदात्म का प्रदर्शन दिखने वाले इस खेल के पीछे महाभरत युगीन आधार है। इस खेल की जड़ें प्रीहिस्टोरिक टाइम या वैदिक युग, लगभग 3,000-4,000 साल पहले मिलती है. भारत में इस खेल को महाभारत से जोड़ा जाता है।

इसके पीछे उस कथा का उदाहरण दिया जाता है कि अर्जुन के बेटे अभिमन्यु ने कौरवों के रचे गए चक्रव्यूह (सुरक्षा घेरा )को तोड़ा था। युद्ध के दौरान अभिमन्यु मारे गए थे। यह कबड्डी का खेल याद दिलाता है।भारत का तमिलनाडु राज्य में कबड्डी की उत्पत्ति मानी जाती है। आधुनिक कबड्डी के नियमों के औपचारिक गठन और प्रकाशन का ऐतिहासिक क़दम सन् 1923 में भारतीय ओलिंपिक संघ ने उठाया। इस स्वदेशी खेल का पहला अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन एक खेल संगठन, हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल ने 1936 के बर्लिन ओलिंपिक में किया।  महिला और पुरुष दोनों ने सारे वल्र्डकप जीत। इसके साथ ही एशियन गेम्स से भी कई गोल्ड मेडल्स देश के लिए लाए गए।

महिला कबड्डी को भी हाल के कुछ सालों में काफी प्रोत्साहना मिली। पहला एशियन महिला चैंपियनशिप 2005 में खेला गया। साल 2012 में महिलाओं ने पहला वल्र्डकप भी खेला। प्रो कबड्डी लीग से प्रेरणा लेकर वीमेन कबड्डी चैलेंज की शुरूआत साल 2016 में की गई। इस खेल को दक्षिण भारत में चेडु-गुडु और पूरब में हु-तू-तू के नाम से भी जानते हैं। पहली प्रतियोगिता कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) के टाला बगीचे में आयोजित की गई।

बांग्लादेश ने इस खेल को अपना राष्ट्रीय खेल बना लिया। 1978 में एशियन अमेच्योर कबड्डी फेडरेशन बनने के बाद पहला एशियन कबड्डी चैम्पियनशिप 1980 में हुअ। 1982 में दिल्ली में खेले गए एशियन गेम्स में इसे जगह मिली, वहीं बीजिंग में 1990 के एशियन गेम्स में कबड्डी को शामिल किया गया।

कबड्डी की पोशाक को लेकर नियम

खिलाड़ी की पोशाक, बनियान और निक्कर होती है। इसके नीचे जांघिया या लंगोट होता है। खिलाड़ी कपड़े के जूते तथा जुराब पहन सकते हैं। किलाड़ियों के बनियान के आगे पीछे नम्बर लिखा हुआ होना चाहिए। बैल्ट सेफ्टी पिन और अंगूठियों की आज्ञा नहीं है तथा नाख़ून कटे होने चाहिए। इसके अलावा किसी भी खिलाड़ी को ऐसी वस्तु पहनने की अनुमति नहीं होती, जो किसी अन्य खिलाड़ी को चोट पहुंचा सकें।

भारतीय शैली

संजीवनी

भारतीय अमच्योर कबड्डी फेडरेशन ने खेल के 4 तरीके की संजीवनी स्टाइल कबड्डी में विरोधी टीम के एक प्लेयर के आउट होने पर दूसरी टीम का एक प्लेयर वापस आ जाता है। ये खेल 40 मिनट का होता है जिसमे दोनों हाफ के बीच 5 मिनट का ब्रेक होता है। हरेक टीम में 7 खिलाड़ी होते हैं और दूसरी टीम के सभी खिलाड़ियों को आउट करने पर 4 पॉइंट मिलते हैं।

गामिनी

गामिनी स्टाइल कबड्डी में भी एक टीम में 7 खिलाड़ी होते हैं और अगर खिलाड़ी आउट होता है तो वो तब तक वापस नहीं आ सकता जब तक उसकी पूरी टीम आउट न हो जाए। इस खेल में कोई समय सीमा नही होती और खेल तब तक चलता है जब तक कि ऐसे 5 या 7 पॉइंट कोई टीम अर्जित न कर लेअमर स्टाइल कबड्डी में भी गामिनी कि तरह ही समय सीमा नहीं होती लेकिन इसमें आउट होने वाला खिलाड़ी खेल में रहता है और एक टैग होने पर एक पॉइंट मिलते हैं।।

पंजाबी कबड्डी

पंजाबी कबड्डी की शुरुआत पंजाब से हुयी थी। इसे पंजाबी सर्किल स्टाइल कबड्डी भी कहा जाता है। राज्य और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर इसे खेला जाता है और अमच्योर सर्किल कबड्डी फेडरेशन इसे निर्धारित करती है। लम्बी कबड्डी, सौंची कबड्डी, गूंगी कबड्डी और इसी तरह इसके 19 पारंपरिक प्रकार हैं। पंजाबी कबड्डी को कबड्डी विश्व कप और वल्र्ड कबड्डी लीग जैसे अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंटों में इस्तेमाल किया जाता है।

लम्बी कबड्डी

लम्बी कबड्डी में 15-20 फीट के गोल फील्ड में 15 खिलाड़ी भाग लेते हैं। इसमें कोई रेफरी और लिमिट नहीं होता। खिलाड़ी जितना मन उतनी दूर भाग सकते हैं। रेडर को रीडिंग के दौरान ’कबड्डी कबड्डी’ बोलना पड़ता है। बाकी सारे नियम अमर कबड्डी कि तरह होता है।

सौंची

सौंची कबड्डी बोक्सिंग कि तरह होता है। ये पंजाब के मालवा क्षेत्र में प्रसिद्ध है। गोल क्षेत्र में अनगिनत खिलाड़ी खेलते हैं। मैदान में एक बांस लगा होता है जिसमें लाल कपड़ा बंधा होता है। इसमें रेडर डिफेंडर कि छाती पर हमला करता है। डिफेंडर को सिर्फ रेडर की कलाई पकड़ने कि इज़ाज़त होती है और बाकी कहीं टच होने पर फ़ाउल हो जात है। अगर रेडर कलाई छुड़ा ले तो वो विजेता नहीं तो डिफेंडर विजयी होता है।

गूंगी कबड्डी

गूंगी कबड्डी में रेडर को सिर्फ एक बार चिल्ला कर ’कबड्डी’ बोलना होता है और विरोधी टीम के खिलाड़ी को टच करना होता है। अगर डिफेंडर उसे हाफ तक न जाने दे तो उनकी टीम को पॉइंट मिलता है और अगर रेडर हाफ तक पहुंच जाए तो फिर उसकी टीम को पॉइंट मिलता है।

कबड्डी का मैदान

कबड्डी के खेल का मैदान समतल व नरम होता है। इस मैदान को तैयार करने के लिए मिट्टी व बुरादे का प्रयोग किया जाता है। पुरुषों, महिलओं व जूनियर वर्ग के लिए खेल का मैदान अलग-अलग आकार का होता है। पुरुषों के लिए इसका आकार 12.5 गुणा 10 मीटर होता है। 6.25 मीटर पर एक मध्य रेखा होती है। इस मध्य रेखा द्वारा मैदान को 2 बराबर भांगों में बांटा जाता है।

महिलाओें के लिए मैदान का आकार 11 गुणा 8 मीटर होता है। 5.5 मीटर पर मध्य रेखा होती है। जूनियर वर्ग के और महिलाओं के लिए समान आकार का मैदान ही प्रयोग में लाया जाता है। उपरोक्त आकार के अंदर दोनों ओर लॉबी को रेखाकिंत किया जाता हैै। मध्य रेखा से पीछे कि ओर दोनों भागों में मध्य रेखा के समानांतर एक रेखा होती है, जिसे बक रेखा कहते है। मैदान के दोनों ओर पीछे कि तरफ खिलाड़ियो के बैठने के लिए एक निश्चित स्थान अंकित किया जाता है, जिसे बैठने का घेरा कहते हैं। मैदान के अंदर सभी रेखाओ कि चैडाई 5 सेमी होती है। बोनस रेखा अंतिम रेखा से 2.50 मीटर कि दूरी पर मैदान के अंदर अंकित की जाती है।

कबड्डी खेल के नियम

  1-   प्रत्येक टीम में 12 खिलाड़ी होते हैं, लेकिन एक समय में केवल सात खिलाड़ी मैदान में खेलते हैं। शेष पाँच खिलाड़ी सुरक्षित होते हैं जिनका विशेष परिस्थिथियों में प्रयोग किया जाता है।

  2-   मैच के लिए 20-20 मिनट की दो अवधि का प्रयोग किया जाता है एवं बीच में 5 मिनट का विश्राम दिया जाता है। 20 मिनट के बाद दोनों टीमे अपना खेल क्षेत्र बदल देती है। महिलाओं के लिए 15-15 मिनट की दो अवधि का प्रयोग किया जाता है। विश्राम वही 5 मिनट का होता है।

  3-   खेल के दौरान मैदान से बाहर जाने वाला खिलाड़ी आउट माना जाता है।

  4-   संघर्ष आरंभ होने पर लॉबी का क्षेत्र भी मैदान का हिस्सा माना जाता है।

  5-   बचाव करने वाली टीम के खिलाड़ी का पैर पीछे वाली रेखा से बाहर निकाल जाने पर वह आउट मान लिया जाता है।

  6-   रेड करने वाला खिलाड़ी लगातार कबड्डी-कबड्डी शब्द का उच्चारण करता रहता है।

  7-   एम्पायर द्वारा रेडर को किसी नियम के उल्लघन पर सचेत करने के बाद भी यदि वह फिर भी नियम का उल्लंघन करता है, तो उसकी बारी समाप्त कर दी जाती है तथा विपक्ष को एक अंक दे दिया जाता है, किन्तु रेडर को आउट नहीं दिया जाता।

8-जब तक एक रेडर विपक्षी टीम के क्षेत्र में रहता है। तब तक विपक्षी टीम का कोई भी खिलाड़ी रेडर की टीम में रेड करने नहीं जा सकता।

  9-   रेडर द्वारा विपक्ष के क्षेत्र में सांस तोड़ने पर उसे आउट माना जाता है।

 10-   यदि एक से अधिक रेडर विपक्ष के क्षेत्र में चले जाते है, तो एम्पायर उन्हें वापस भेज देता है व उनकी बारी समाप्त कर दी जाती है। इन रेडरों द्वारा छुए हुए खिलाड़ी आउट भी नहीं माने जाते और न ही विपक्षी खिलाड़ी इंका पीछा करते हैं ।

 11-   खेलते समय यदि किसी टीम के एक या दो खिलाड़ी शेष रह जाते हैं तो कप्तान को अधिकार है कि  वह अपनी टीम के सभी सदस्यों को बुला सकता है। इसके बदले विपक्ष को उतने अंक एवं ‘लोना‘ के दो अंक प्रदान किए जाते हैं।

 12-   रेडर यदि बोनस रेखा को पार कर लेता है, तो उसे एक अंक दिया जाता है।

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