भारत के लिए अपने दुश्मनों पर नज़र रखना और उनके इरादों को समझना ज़रूरी है। यह रणनीति न केवल सुरक्षा के लिहाज़ से महत्वपूर्ण है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।अटल बिहारी वाजपेयी के उद्धरण, जो यह भी बताता है कि क्षेत्रीय स्थिरता कितनी महत्वपूर्ण है। यदि पड़ोसी अच्छे होते हैं, तो कई समस्याएं खुद-ब-खुद हल हो सकती हैं।
एस जयशंकर की इस्लामाबाद यात्रा वास्तव में एक महत्वपूर्ण घटना थी, और इसका संकेत दोनों देशों के बीच संभावित संवाद के लिए एक नई शुरुआत हो सकता है। पाकिस्तान के नेताओं का दोस्ती का संदेश और ऊर्जा व जलवायु परिवर्तन जैसे साझा मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना एक सकारात्मक संकेत है। यह दर्शाता है कि पाकिस्तान भी रिश्तों को सामान्य करने की कोशिश कर रहा है, भले ही पीछे की घटनाएं और विवाद इसे जटिल बनाते हों।
हालांकि, भारत का दृष्टिकोण स्पष्ट है—किसी भी बातचीत का आधार पाकिस्तान का व्यवहार होगा। यह स्थिति एकतरफा नहीं है; दोनों देशों को विश्वास और संवाद की आवश्यकता है। करतारपुर कॉरिडोर पर समझौते की वैधता बढ़ाना और क्रिकेट संबंधों की बहाली की मांग दोनों देशों के बीच संवाद की संभावनाओं को दर्शाता है। क्रिकेट डिप्लोमेसी का इतिहास भी दर्शाता है कि खेल के माध्यम से तनाव कम किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति जरूरी है।
मोदी-शी मुलाकात में सीमा संबंधी मुद्दों पर बातचीत का होना, एक सकारात्मक कदम है, लेकिन यह भी सच है कि चीन का इतिहास भरोसेमंद नहीं रहा है। कई बार समझौतों का उल्लंघन और क्षेत्रीय विवादों ने स्थिति को जटिल बनाया है। इतिहास में चीन ने कई बार अपने वादों को तोड़ा है, जिससे भारत के लिए यह सवाल उठता है कि भविष्य में भी वह अपने वादों पर खरा उतरेगा या नहीं।
डी (डिसइंगेजमेंट, डीएस्केलेशन, डीइंडक्शन) प्रक्रिया का पूरा होना दोनों देशों के लिए जरूरी है, लेकिन इसे लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।