कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्ध्य देना शुभ होता है।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र देव की पूजा का भी विशेष विधान है। इस दिन चंद्रमा अपनी 64 कलाओं के साथ आकाश में विराजमान होते हैं, और इसे शुभ माना जाता है। चंद्रमा को अर्ध्य देना इस दिन का प्रमुख कार्य होता है, क्योंकि इससे मानसिक शांति और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से महिलाएं इस दिन चंद्रमा को अर्ध्य देती हैं, ताकि उनका जीवन खुशहाल और समृद्ध रहे।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने का तरीका

इस दिन आप एक स्टील का लोटा लें या फिर तांबे का ले सकते हैं। ध्यान रखें कि पीतल के लोटे से चंद्रमा को अर्घ्य नहीं दिया जाता है। इसके बाद उस लोटे में शुद्ध जल डालें। यदि गंगाजल हो तो बेहद ही शुभ है।

फिर आप गंगाजल या शुद्ध जल में 5 बूंद दूध की मिलाएं। जल वाले लोटे पर स्वास्तिक बनाएं और लोटे पर ऊपरी हिस्से पर कलावा बांधें। इसके बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय अर्घ्य दें।

जब आप चंद्रमा को अर्घ्य दें तो इससे पहले परात जमीन पर रख लें क्योंकि चंद्रमा को अर्घ्य में चढ़ाया जाने वाला जल पैरों में जमीन पर नहीं गिरना चाहिए। जब आप चंद्र को अर्घ्य दें तो जमीन पर परात रखकर ही चंद्रमा को जल चढ़ाएं।

चंद्रमा को अर्घ्य देने के दौरान चंद्र देव के मंत्रों का जाप करें। अगर कोई मंत्र आपको याद नहीं है तो आप ‘जय चंद्रमा देव’ का बार-बार उच्चारण करते हुए जल अर्पित करें। इसके बाद आप चंद्रमा को नमक करें।

इसके बाद आपको चंद्रमा के निमित्त घी का दीया जलाएं। चंद्रमा की आरती गाएं। परात में गिरा हुआ जल आप पीपल या फिर बरगद के पेड़ की जड़ में डाल सकते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रौशनी में खीर जरुर रखें।

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