दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च (गुरुवार) को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार कर लिया। केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति मामले में अरेस्ट किया गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, एनडीए सरकार में यूपीए सरकार की तुलना में नेताओं के खिलाफ ईडी के मामलों में चार गुना इजाफा हुआ है। यह रिपोर्ट 2022 में प्रकाशित हुई थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 2014 से लेकर 2022 के बीच 121 प्रमुख नेता के जांच के दायरे में आए। इनमें से 95 यानी 115 नेता विपक्ष के थे। इन नेताओं के यहां छापेमारी की गई, इनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया, इनसे पूछताछ की गई या फिर इन्हें गिरफ्तार किया गया। अगर यूपीए सरकार की बात करें तो ईडी ने कुल 26 राजनेताओं की जांच की, जिसमें आधे से अधिक 14 यानी 54 फीसदी विपक्षी नेता थे।
अरविंद केजरीवाल से पहले, मार्च 2023 में दिल्ली के तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को ईडी ने एक्साइज पॉलिसी केस में गिरफ्तार किया था। इसके अलावा, झामुमो नेता हेमंत सोरेन ने इस साल जनवरी में अपनी गिरफ्तारी से ठीक पहले झारखंड के मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया। भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के. कविता भी शराब नीति मामले में जांच का सामना कर रही हैं। वे तेलंगाना के पूर्व सीएम के. चंद्रशेखर राव की बेटी हैं।
2014 से लेकर सितंबर 2022 के बीच ईडी ने कांग्रेस के 24, टीएमसी के 19, एनसीपी के 11, शिवसेना के 8, डीएमके के 6, बीजेडी के 6, राजद के 5, बसपा के 5, सपा के 5, टीडीपी के 5, AAP के 3, INLD के 3, YSRCP के 3, CPM के 2, NC के 2, PDP के 2, AIADMK, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और BRS के एक-एक नेता के ऊपर कार्रवाई की। यूपीए सरकार के समय ईडी पर सपा और बसपा के खिलाफ मामले की धीमी गति से काम करने का आरोप लगाया गया था।
विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के आरोपों पर ईडी के एक अधिकारी ने कहा कि ईडी अपने आप मामले दर्ज नहीं कर सकती है। किसी राजनेता पर राज्य पुलिस या किसी केंद्रीय एजेंसी द्वारा मामला दर्ज किए जाने के बाद ही ईडी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर सकती है। उन्होंने बताया कि हम कई बीजेपी नेताओं की भी जांच कर रहे हैं। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद गली जनार्दन रेड्डी के खिलाफ एक नया मामला शुरू किया गया। हम उचित जांच के बाद मामले दर्ज करते हैं। हमारी सभी चार्जशीटों पर अदालतें संज्ञान ले रही हैं।
विपक्ष ने ईडी पर बीजेपी में शामिल होने वाले विरोधी दलों के नेताओं के ऊपर धीमी गति से कार्रवाई करने के आरोप लगाया है। इन नेताओं में असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा और बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी भी शामिल हैं। सरमा जब कांग्रेस में थे, तो 2014 और 2015 में शारदा चिटफंड घोटाले को लेकर सीबीआई और ईडी ने जांच की थी। उनके घर पर 2014 में छापे भी मारे गए थे, उनसे पूछताछ भी की गई थी, लेकिन जब वे बीजेपी में आए तो मामला ठंडा हो गया। इसी तरह नारद स्टिंग ऑपरेशन में सुवेंदु अधिकारी भी ईडी और सीबीआई के जांच के दायरे में आए थे। हालांकि, बाद में इस मामले में कोई महत्वपूर्ण कार्रवाई नहीं हुई।
ईडी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी, 12 से अधिक टीएमसी नेता, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, सोनिया गांधी, रॉबर्ट वाड्रा, पी, चिदंबरम, राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन, बीजेपी नेता सुधांशु मित्तल के बहनोई आइरियो ग्रुप के ललित गोयल, कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के खिलाफ कार्रवाई की थी। इसके अलावा, ईडी वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह के खिलाफ भी जांच कर रही है।