कमजोर लोगों को समर्पित अंतर्राष्ट्रीय मानव एकजुटता दिवस 2024

सामाजिक मूल्य-परिवर्तन और मानदंडों की प्रस्थापना से लोकचेतना में परिष्कार संभव हो सकता है, क्योंकि समाज में सुधार और विकास के लिए नए दृष्टिकोणों और सकारात्मक बदलाव की आवश्यकता होती है। विश्व मानव एकता दिवस इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह विश्वभर में मानवता और समानता के विचारों को प्रोत्साहित करता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें समाज में शांति, समानता और एकता की दिशा में काम करना चाहिए। समाज में बदलाव लाने के लिए लोगों को जागरूक करना और उन्हें अपने कर्तव्यों के प्रति संवेदनशील बनाना बहुत जरूरी है।

मानवता, प्रेम, और एकता के सिद्धांतों को बढ़ावा देने से हम एक समृद्ध और समान समाज की नींव रख सकते हैं। जैसे-जैसे समय बीतता है, यह ध्यान रखना जरूरी है कि अन्याय और अत्याचार के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा, और यह केवल जागरूकता, शिक्षा और संवाद के माध्यम से ही समाप्त हो सकता है। इसलिए, विश्व मानव एकता दिवस के महत्व को बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि यह हमारे भीतर सामूहिक एकता और समझ का निर्माण करता है, जो एक बेहतर समाज की ओर कदम बढ़ाने में मदद करता है।

अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस (International Human Unity Day) का उद्देश्य दुनिया भर में एकता, शांति और समानता के महत्व को बढ़ावा देना है। यह दिवस 20 दिसंबर को मनाया जाता है और इसे संयुक्त राष्ट्र ने 22 दिसंबर 2005 को आधिकारिक रूप से मनाने की घोषणा की थी। यह दिन विशेष रूप से विकासशील देशों में गरीबी उन्मूलन, सामाजिक न्याय और सह-जीवन की संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिवस का महत्व इस बात में निहित है कि यह दुनिया भर में उन विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक बाधाओं को पार करने के लिए एक संयुक्त प्रयास की आवश्यकता को उजागर करता है, जो विकासशील देशों के सामने हैं।

इस दिन का उद्देश्य सरकारों को सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना है, खासकर गरीबी और अन्य सामाजिक मुद्दों को हल करने में। भारत इस पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत ने कई सामाजिक और आर्थिक सुधारों को लागू किया है, जो न केवल देश के भीतर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एकता और समृद्धि के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। भारत ने न केवल गरीबी उन्मूलन, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, और समानता के मामलों में भी व्यापक पहल की है। इस दिन, हर व्यक्ति का योगदान महत्वपूर्ण हो सकता है। हम कमजोर, गरीबों, शारीरिक या मानसिक रूप से अक्षम व्यक्तियों की मदद करके, शिक्षा में योगदान देकर, और समाज में समानता की दिशा में काम करके इस उद्देश्य को आगे बढ़ा सकते हैं।

इस दिवस के माध्यम से हम शांति, सह-जीवन और सामाजिक न्याय को प्रोत्साहित करने के लिए एकजुट हो सकते हैं, जो अंततः दुनिया भर में एक सशक्त और समृद्ध समाज की दिशा में बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करता है। अंततः, अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हम सभी का योगदान एक बेहतर और समान दुनिया बनाने के लिए आवश्यक है, और यह केवल सहयोग, समझ, और परस्पर समर्थन से ही संभव हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, “संयुक्त राष्ट्र के निर्माण ने विश्व के लोगों और राष्ट्रों को एक साथ शांति, मानवाधिकारों और सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए आकर्षित किया। संगठन की स्थापना अपने सदस्यों के बीच एकता और सद्भाव के मूल आधार पर की गई थी, जो सामूहिक सुरक्षा की अवधारणा में व्यक्त की गई थी, जो अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए अपने सदस्यों की एकजुटता पर निर्भर करती है।”

अंतरराष्ट्रीय मानव एकजुटता दिवस सतत विकास एवं समतामूलक विकास के एजेंडा पर आधारित है, जो अपने आप में गरीबी, भूख और बीमारी जैसे कई दुर्बल पहलुओं से लोगों को बाहर निकालने के लिए केंद्रित है। ‘मिलेनियम डिक्लेरेशन’ को ध्यान में रखते हुए, एकजुटता को 21वीं सदी में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मूलभूत मूल्यों में से एक माना जाता है, जिसके तहत कम से कम लाभ उठाने वाले और सबसे अधिक मुश्किलों का सामना करने वाले लोग उन लोगों की मदद के योग्य होते हैं जिन्हें सबसे अधिक लाभ मिलता है। मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने कहा भी है कि एक व्यक्ति तब तक जीना शुरू नहीं करता जब तक वह अपनी व्यक्तिगत चिंताओं के संकीर्ण दायरे से ऊपर उठकर समस्त मानवता की व्यापक चिंताओं तक नहीं पहुंच जाता।

आज समूची दुनिया में मानवीय एकता एवं चेतना के साथ खिलवाड़ करने वाली त्रासद एवं विडम्बनापूर्ण परिस्थितियां सर्वत्र परिव्याप्त हैं-जिनमें आतंकवाद सबसे प्रमुख है। जातिवाद, अस्पृश्यता, सांप्रदायिकता, महंगाई, गरीबी, भिखमंगी, विलासिता, अमीरी, अनुशासनहीनता, पदलिप्सा, महत्वाकांक्षा, उत्पीड़न और चरित्रहीनता आदि अनेक परिस्थितियों से मानवता पीड़ित एवं प्रभावित है। उक्त समस्याएं किसी युग में अलग-अलग समय में प्रभावशाली रहीं होंगी, इस युग में इनका आक्रमण समग्रता से हो रहा है। आक्रमण जब समग्रता से होता है तो उसका समाधान भी समग्रता से ही खोजना पड़ता है। हिंसक परिस्थितियां जिस समय प्रबल हों, अहिंसा का मूल्य स्वयं बढ़ जाता है।

महात्मा गांधी ने कहा है कि आपको मानवता में विश्वास खोना नहीं चाहिए। मानवता एक महासागर है। यदि महासागर की कुछ बूंदें गंदी हैं, तो भी महासागर गंदा नहीं होता है।’ ऐसे ही विश्वास को जागृत करने के लिये ही विश्व मानव एकता दिवस की आयोजना की गई है। गरीबी का कारण हिंसा, आतंक, अप्रामाणिकता, संग्रह, स्वार्थ, शोषण और क्रूरता आदि हैं, इनके दंश मानवता को मूर्च्छित कर रहे हैं एवं मानव एकता की सबसे बड़ी बाधाएं हैं। इस मूर्च्छा को तोड़ने के लिए अहिंसा, सह-जीवन, सौहार्द, शांति और सह-अस्तित्व का मूल्य बढ़ाना होगा तथा सहयोग एवं संवेदना की पृष्ठभूमि पर स्वस्थ समाज-संरचना की परिकल्पना को आकार देना होगा। दूसरों के अस्तित्व के प्रति संवेदनशीलता मानव एकता का आधार तत्व है।

जब तक व्यक्ति अपने अस्तित्व की तरह दूसरे के अस्तित्व को अपनी सहमति नहीं देगा, तब तक वह उसके प्रति संवेदनशील नहीं बन पाएगा। जिस देश और संस्कृति में संवेदनशीलता का स्रोत सूख जाता है, वहाँ मानवीय रिश्तों में लिजलिजापन आने लगता है। अपने अंग-प्रत्यंग पर कहीं प्रहार होता है तो आत्मा आहत होती है। किंतु दूसरों के साथ ऐसी घटना घटित होने पर मन का एक कोना भी प्रभावित नहीं होता। यह संवेदनहीनता की निष्पत्ति है। इस संवेदनहीन मन की एक वजह सह-अस्तित्व का अभाव भी है।

नेल्सन मंडेला ने कहा है कि हमारी मानवीय करुणा हमें एक दूसरे से जोड़ती है-दया या संरक्षण के भाव से नहीं, बल्कि ऐसे मानव के रूप में जिसने सीख लिया है कि कैसे अपने साझा दुख को भविष्य के लिए आशा में बदला जाए। आज हम इतने संवेदनशून्य हो गये हैं कि औरों का दुःख-दर्द, अभाव, पीड़ा, औरों की आहें हमें कहीं भी पिघलाती नहीं। देश और दुनिया में निर्दाेष लोगों की हत्याएं, युद्ध की विभीषिकाएं, हिंसक वारदातें, आतंकी हमले, अपहरण, जिन्दा जला देने की रक्तरंजित सूचनाएं, महिलाओं के साथ व्यभिचार-बलात्कार की वारदातें पढ़ते-देखते हैं पर मन इतना आदती बन गया कि यूं लगता है कि यह सब तो रोजमर्रा का काम है। न आंखों में आंसू छलकते हैं, न पीड़ित मानवता के साथ सहानुभूति जुड़ती है। न सहयोग की भावना जागती है और न नृशंस क्रूरता पर खून खौलता हैं। हमें सिर्फ स्वयं को बचाने की चिन्ता है। तभी औरों का शोषण करते हुए नहीं सकुचाते। हमें संवेदना को जगाना होगा।

तभी जे.के. राउलिंग ने कहा भी है कि हमें दुनिया को बदलने के लिये जादू की आवश्यकता नहीं है। हम बस मानव की सेवा करके ऐसा आसानी से कर सकते हैं।’ इसी मानव-सेवा की मूल भावना मानव एकता दिवस का हार्द है। है। यह दिन वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में दुनिया भर के लोगों की एकता, सहयोग और साझा जिम्मेदारी के महत्व पर जोर देता है। इस दिन को मनाकर मानव को एकजुटता में रखकर एक साथ काम करने और सभी के लिए एक बेहतर दुनिया बनाने का संदेश दिया जाता है। सामाजिक मूल्य-परिवर्तन और मानदंडों की प्रस्थापना से लोकचेतना में परिष्कार हो सकता है।

इस दृष्टि से विश्व मानव एकता दिवस की उपयोगिता बढ़-चढ़ कर सामने आ रही है। जब तक दुनिया अस्तित्व में है, अन्याय और अत्याचार होने की संभावनाओं से नकारा नहीं जा सकता। लेकिन जो लोग सक्षम और समर्थ हैं, उनकी जिम्मेदारी अधिक है कि वे लोग अपने से निर्बल लोगों को भी स्नेह दें। हर साल, आपदाओं एवं मानव-भूलों से लाखों लोगों विशेषतः दुनिया के सबसे गरीब, सबसे हाशिए पर आ गये लोग और कमजोर व्यक्तियों को अपार दुःख का सामना करना पड़ता है। मानवतावादी सहायताकर्मी इन आपदा प्रभावित समुदायों एवं लोगों को राष्ट्रीयता, सामाजिक समूह, धर्म, लिंग, जाति या किसी अन्य कारक के आधार पर भेदभाव के बिना जीवन बचाने में सहायता और दीर्घकालिक पुनर्वास प्रदान करने का प्रयास करते हैं। वे सभी संस्कृतियों, विचारधाराओं और पृष्ठभूमि को प्रतिबिंबित करते हैं और मानवतावाद के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से वे एकजुट हो जाते हैं।

इस तरह की मानवतावादी सहायता मानवता, निष्पक्षता, तटस्थता और स्वतंत्रता सहित कई संस्थापक सिद्धांतों पर आधारित है। आज अनुभव किया जा रहा है कि देश एवं दुनिया विकृतियों की शूली पर चढ़ा है। नैतिक मूल्यों के आधार पर ही मनुष्य उच्चता का अनुभव कर सकता है और मानवीय प्रकाश पा सकता है। मानव एकता का प्रकाश सार्वकालिक, सार्वदेशिक, और सार्वजनिक है। इस प्रकाश का जितनी व्यापकता से विस्तार होगा, मानव समाज का उतना ही भला होगा। इसके लिए तात्कालिक और बहुकालिक योजनाओं का निर्माण कर उनकी क्रियान्विति से प्रतिबद्ध रहना जरूरी है। यही विश्व मानव एकता दिवस मनाने को सार्थक बना सकता है।

मानव एकता और नैतिक मूल्यों के बीच एक गहरा संबंध है, जो समाज के विकास और व्यक्तिगत उन्नति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। नैतिक मूल्य ही मनुष्य को उच्चता और मानवीय प्रकाश की ओर अग्रसर करते हैं, जिससे वह अपनी मानवता को समझता है और समाज में सकारात्मक योगदान दे सकता है। जब हम मानव एकता की बात करते हैं, तो इसका अर्थ न केवल सभी मानवता के प्रति सहानुभूति और सम्मान है, बल्कि यह भी है कि हम सभी को एकजुट होकर विश्व के समग्र कल्याण की दिशा में कार्य करना चाहिए।

मानव एकता का प्रकाश सार्वकालिक और सार्वदेशिक है, यानी यह समय और स्थान की सीमाओं से परे है। इसका उद्देश्य वैश्विक शांति, समानता, और समृद्धि को बढ़ावा देना है। जितना व्यापक रूप से हम मानव एकता के विचार को फैलाएंगे, उतना ही समाज में शांति, सहिष्णुता और सौहार्द का वातावरण बनेगा। यह प्रकाश न केवल किसी एक राष्ट्र या समुदाय तक सीमित है, बल्कि यह पूरे मानवता के लिए एक साझा धरोहर है।

विश्व मानव एकता दिवस का आयोजन इस विचार को बल देने का एक महत्वपूर्ण कदम है। इस दिन का उद्देश्य यह है कि हम अपनी विचारधारा, संस्कृति, और धर्म के भेदों को छोड़कर एकजुट होकर समृद्ध और न्यायपूर्ण समाज की ओर कदम बढ़ाएं। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक योजनाएं बनानी होंगी और उनकी प्रभावी क्रियान्विति पर कार्य करना होगा। तात्कालिक योजनाओं में हम सामाजिक और आर्थिक न्याय, शिक्षा, और स्वास्थ्य की उपलब्धता सुनिश्चित कर सकते हैं। वहीं, दीर्घकालिक योजनाओं के तहत हमें वैश्विक स्तर पर संघर्षों को हल करने के लिए सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, ताकि हर व्यक्ति को समान अधिकार और अवसर मिल सकें।

विश्व मानव एकता दिवस मनाने का उद्देश्य केवल इस दिन को विशेष बनाना नहीं है, बल्कि यह एक निरंतर प्रक्रिया है, जो मानवता के प्रति हमारी जिम्मेदारी और प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह हमें याद दिलाता है कि एकजुटता, सहयोग और शांति की दिशा में हर कदम महत्वपूर्ण है और यही हमारी वास्तविक प्रगति और कल्याण का मार्ग है।

Related Articles

Back to top button