
नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने भारतीय वायुसेना की ताकत देखी है। भारतीय वायुसेना के विमानों ने पाकिस्तान के चीनी विमानों के छक्के छुड़ा दिए। हालांकि अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों को देखते हुए भारतीय वायुसेना के पास अभी पर्याप्त लड़ाकू विमान नहीं हैं। ऐसे में वायुसेना ने सरकार से नए राफेल विमानों की डिमांड कर दी है। भारतीय वायुसेना चाहती है कि लंबे समय से लंबित पड़े 114 मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट के तहत नए राफेल विमान उपलब्ध करवाए जाएं।
भारतीय वायुसेना का कहना है कि फ्रांस की सरकार के साथ लंबित परियोजना के तहत नए विमान खरीदे या फिर बनाए जाएं जिससे वायुसेना की ताकत में इजाफा हो सके। इस प्रोजेक्ट के तहत ज्यादातर विमान विदेशी सहयोग के साथ देश में ही बनाए जाने हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो भारतीय वायुसेना अब अपने बेड़े में देसी राफेल विमान चाहती है।
इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने का पहला चरण है ऐक्सेपटेंस ऑफ नेसेसिटी (AoN) है। रिपोर्ट्स के मुताबिक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) एक या दो महीने के अंदर इसे मंजूरी दे सकती है। वायुसेना का कहना है कि जितनी जल्दी हो सके नए लड़ाकू विमान बेड़े में शामिल होने चाहिए। बता दें कि 7 से 10 मई तक ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने सीमा पार आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए राफेल का इस्तेमाल किया था।
पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसने भारतीय वायुसेना के 6 लड़ाकू विमान मार गिराए थे। हालांकि भारत ने पाकिस्तान के इन बेबुनियाद दावों को खारिज कर दिया है। बता दें कि एमआरएफए प्रोजेक्ट पिछले सात से आठ साल से लटका हुआ है। वहीं भारतीय वायुसेना में विमानों की कमी हो गई है। अगले महीने मिग-21 विमान रिटायर होने वाले हैं। ऐसे में वायुसेना में विमानों की संख्या और कम हो जाएगी। भारतीय वायुसेना ने पांचवीं पीढ़ी के विमानों की भी मांग की है।
5th जनरेशन के विमानों की भी मांग
भारतीय वायुसेना का कहना है कि अब पांचवीं जनरेशन के लड़ाकू विमानों की जरूरत है। इनमें रूस के सुखोई-57 और अमेरिका के एफ-35 विमान शामिल हैं। हालांकि इसको लेकर अभी कोई चर्चा नहीं शुरू हुई है। भारतीय वायुसेना का कहना है कि अगर सरकार से सरकार की डील करके राफेल खरीदे जाते हैं तो यह ज्यादा फायदेमंद होगा। साल 2016 में भारत ने 59000 करोड़ रुपये की राफेल विमानों की डील की थी। इसके बाद 36 राफेल विमानों को वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया था।