
नई दिल्ली। भारत को जल्द ही अपना वेब ब्राउजर मिल सकता है। इसे बनाने की जिम्मेदारी भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी जोहो कॉरपोरेशन को दी गई है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इसकी घोषणा की। मंत्रालय ने स्वदेशी वेब ब्राउजर विकसित करने के उद्देश्य से ‘भारतीय वेब ब्राउजर विकास चुनौती’ नामक प्रतियोगिता आयोजित की थी, जिसमें जोहो कॉरपोरेशन ने प्रथम पुरस्कार जीता. इसके लिए जोहो को 1 करोड़ रुपये का पुरस्कार मिला है।
वहीं, प्रतियोगिता में टीम पिंग दूसरे और टीम अजना तीसरे स्थान पर रही। टीम पिंग को 75 लाख रुपये और टीम अजना को 50 लाख रुपये मिलेंगे। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सभी विजेताओं को पुरस्कार राशि का चेक दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह देखकर खुशी हुई कि इस चुनौती में विजेता टियर 2 और टियर 3 शहरों से आ रहे हैं।
यह ब्राउजर सरकार की निगरानी में रहेगा और देश का डेटा देश में ही रहेगा। मेड इन इंडिया ब्राउजर डेटा प्राइवेसी एक्ट का पालन करेगा। यूजर्स का डेटा सुरक्षित रहेगा। यह ब्राउजर iOS, Windows और Android जैसे सभी ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलेगा। पूरी दुनिया में इस्तेमाल होने वाले इंटरनेट ब्राउजिंग में अमेरिकी कंपनियों का दबदबा है. इनमें सबसे ज्यादा इस्तेमाल गूगल क्रोम का होता है। भारत में गूगल के करीब 850 मिलियन (85 करोड़) यूजर हैं, जो कुल यूजर्स का करीब 89% है।
सरकार ने मेड इन इंडिया वेब ब्राउजर बनाने के लिए 3 करोड़ रुपये की फंडिंग का ऐलान किया है। इसके तैयार होने के बाद इसे सुरक्षा सर्टिफिकेट दिया जाएगा, जिसके बाद यूजर स्वदेशी ब्राउजर का इस्तेमाल कर सकेंगे।
गूगल क्रोम, मोजिला, फायरफॉक्स जैसे इंटरनेट ब्राउजर अपने रूट स्टोर में भारतीय सर्टिफिकेशन एजेंसियों को शामिल नहीं करते हैं। रूट स्टोर को ट्रस्ट स्टोर कहते हैं, जो ऑपरेटिंग सिस्टम और एप्लीकेशन के बारे में जानकारी देता है कि यह सुरक्षित है या नहीं। इसके सर्टिफिकेशन में कोई भारतीय एजेंसी शामिल नहीं होती है। इस समय भारत में मौजूद ब्राउज़रों का सुरक्षा और गोपनीयता को लेकर भारत सरकार के साथ कोई तालमेल नहीं है, जिसके चलते भारत अपना खुद का इंटरनेट ब्राउज़र विकसित करने जा रहा है। भारत तेज़ी से डिजिटल होता जा रहा है. ऐसे में ऑनलाइन सुरक्षा और गोपनीयता एक अहम मुद्दा है।