भारत इस समय स्टार्टअप के क्षेत्र में दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है, जिसके पीछे एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण है। वर्तमान में, भारत को ‘स्टार्टअप हब’ के रूप में मान्यता प्राप्त है, जिसमें 90,000 से अधिक स्टार्टअप और 30 बिलियन डॉलर मूल्य की 107 यूनिकॉर्न कंपनियां शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, सरकार ने ‘स्टार्टअप इंडिया’ पहल की शुरुआत की है, जो उद्यमियों को आवश्यक समर्थन और संसाधन प्रदान करती है। यह पहल न केवल वित्तीय सहायता में मदद करती है, बल्कि स्टार्टअप्स को नीतिगत समर्थन, नेटवर्किंग अवसर और मार्गदर्शन भी प्रदान करती है।
भारत की उद्यमिता संस्कृति ने युवाओं को नए विचारों और नवाचारों के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है, जिससे न केवल आर्थिक विकास हो रहा है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं।
उद्यमी बनने की इच्छुक लोगों के लिए सरकार द्वारा पेश की गई योजनाएं वास्तव में महत्वपूर्ण हैं, जो एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) के विकास को बढ़ावा देती हैं। यहां कुछ प्रमुख योजनाओं का सारांश दिया गया है:
- गुणक अनुदान योजना (Multiplier Grant Scheme):
- उद्देश्य: उद्योगों के बीच सहयोगात्मक अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना।
- अनुदान: प्रत्येक प्रोजेक्ट के लिए अधिकतम ₹2 करोड़।
- डेयरी उद्यमिता विकास योजना (DEDs):
- उद्देश्य: डेयरी क्षेत्र में स्वरोजगार सृजित करना।
- अनुदान: सामान्य श्रेणी के लिए 25% और एससी/एसटी के लिए 33.33% परियोजना लागत।
- ऋण गारंटी निधि ट्रस्ट (CGTMSE):
- उद्देश्य: एमएसई क्षेत्र में ऋण प्रवाह को आसान बनाना।
- लाभ: बिना जमानत के ऋण, प्रत्येक उधारकर्ता के लिए ₹200 लाख तक की निधि।
- एकल बिंदु पंजीकरण योजना (SPRS):
- उद्देश्य: लघु उद्योगों की खरीद को बढ़ावा देना।
- लाभ: EMD से छूट, निःशुल्क निविदा और सरकारी खरीद का 25% न्यूनतम निर्धारित।
- उच्च जोखिम और उच्च पुरस्कार अनुसंधान:
- उद्देश्य: नवोन्मेषी विचारों का समर्थन करना।
- वित्त पोषण: कोई निश्चित बजट सीमा नहीं, तीन से पांच साल तक का वित्त पोषण।
इन योजनाओं के माध्यम से उद्यमियों को न केवल वित्तीय सहायता मिलती है, बल्कि उन्हें विभिन्न संसाधनों और समर्थन की भी प्राप्ति होती है, जिससे वे अपने व्यवसायों को सफलतापूर्वक स्थापित कर सकते हैं।