विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी एक दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर श्रीलंका में थे। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा श्रीलंका के लिए एक “विश्वसनीय मित्र और भरोसेमंद भागीदार” रहेगा। हालांकि, हाल के चुनाव में कच्चातिवु द्वीप जिस तरह से सुर्खियों में था, उसके बाद इस बात की संभावना थी कि जयशंकर के श्रीलंका दौरे के दौरान यह मुद्दा उठेगा। रणधीर जयसवाल ने विदेश मंत्री के श्रीलंका दौरे को लेकर पूरी जानकारी दी। लेकिन कच्चातिवु द्वीप मुद्दे से जुड़े सवाल को टाल गए।
रणधीर जयसवाल ने कहा कि जयशंकर का श्रीलंका दौरा एकदिवसीय था लेकिन पिछले कुछ सालों में उनका यह पांचवा दौरा है। इसी से साफ तौर पर पता चल सकता है कि भारत का रिश्ता श्रीलंका से कैसा है। उन्होंने बताया कि विदेश मंत्री के बातचीत श्रीलंका के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से हुई है। श्रीलंका के विदेश मंत्री से भी बातचीत हुई है। कई सारे विकास परियोजनाओं का भी साझा रूप से उद्घाटन किया गया। विदेश मंत्री श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति से भी मिले हैं। विपक्ष के नेता से भी मिले हैं। साथ ही साथ उन्होंने कई राजनीतिक दलों के नेताओं से भी मुलाकात की है। उन्होंने कहा कि भारत श्रीलंका का संबंध बेहद मजबूत बना हुआ है और यह हमारे रिश्तों के लिए बहुत अच्छा है।
जयशंकर ने बृहस्पतिवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे सहित देश के शीर्ष नेतृत्व के साथ बातचीत की तथा राष्ट्रपति के साथ भारत से 60 लाख अमरीकी डॉलर के अनुदान से निर्मित समुद्री बचाव समन्वय केंद्र का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया। जयशंकर सुबह श्रीलंका पहुंचे और उन्होंने राष्ट्रपति भवन में विक्रमसिंघे से मुलाकात की। जयशंकर ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं दीं और बिजली, ऊर्जा, संपर्क, बंदरगाह बुनियादी ढांचे, विमानन, डिजिटल, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा और पर्यटन क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।
जयशंकर ने पोस्ट में कहा,‘‘ राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के मार्गदर्शन में भारत-श्रीलंका के बीच सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की गई, विशेष रूप से बिजली, ऊर्जा, सम्पर्क, बंदरगाह बुनियादी ढांचे, विमानन, डिजिटल, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा और पर्यटन क्षेत्रों में। हमारे पारंपरिक रूप से घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंधों के निरंतर विकास के लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध।’’ राष्ट्रपति विक्रमसिंघे और जयशंकर ने श्रीलंका में समुद्री बचाव समन्वय केंद्र (एमआरसीसी) की पट्टिका का डिजिटल माध्यम से अनावरण किया और औपचारिक तौर पर केन्द्र की शुरुआत की।