
नई दिल्ली। रोजगार के लिए विदेश जाने का चलन भारत के युवाओं में काफी पुराना है। वो अपने और परिवार के सपनों को पंख देने के लिए पूरा जीवन दांव पर लगाने को तैयार रहते हैं। इसी का फायदा उठा रहे हैं विदेश भेजने वाले एजेंट्स… विदेश में बढ़िया जॉब का झांसा देकर लाखों रुपये ऐंठ रहे हैं। कुछ युवाओं भेजा ही नहीं जाता है और कुछ अवैध तरीके से भेजकर मझधार में यातना सहने को छोड़ दिया जाता है। अमेरिका से सैकड़ों भारतीयों के डिपोर्ट होने से इसे लेकर चर्चा गरम है।
अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, इटली, जर्मनी, फ्रांस, न्यूजीलैंड, सऊदी अरब और स्वीडन जैसे देशों में जॉब पाने की लालसा देशभर के युवाओं में रहती है। एक गिरोह ऐसा होता है, जो एक ऑफिस खोलता है। इसके बाद सोशल मीडिया और फर्जी वेबसाइट्स के जरिए पीड़ितों को फांसता है। गिरोह 12 से 20 लाख रुपये ऐंठता है। इसके बाद जॉब का फर्जी अपॉइंटमेंट लेटर, फर्जी वीजा और एयर टिकट तक दे देता है। कई पीड़ितों को चूना लगाने के ऑफिस बंद कर भाग जाता है। इसके बाद पीड़ित जब एयरपोर्ट पर पहुंचते हैं, तो पता चलता है कि उनके पास सबकुछ फर्जी है। वो ठगी का शिकार हो चुके हैं। ठगों के फोन बंद मिलते हैं और सभी रफूचक्कर हो चुके होते हैं।
दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र और यूपी में कई ऐसे गिरोह सक्रिय हैं, जो ट्रैवल एजेंट्स का काम करते हैं। ये 40 से लेकर 60 लाख रुपये लेकर वर्क परमिट के बजाय टूरिस्ट या स्टूडेंट वीजा देकर युवकों को विदेश भेज देते हैं। इसी तरह अमेरिका या कनाडा में जॉब के नाम पर ऐसे देशों में भेज देते हैं, जहां से उन्हें अवैध तरीके से एंट्री करने को मजबूर होना पड़ता है। इसे डंकी रूट कहते हैं। इस दौरान कई दिन और रात जंगलों से गुजरना पड़ता है। अगर पकड़े गए तो फिर डिपोर्ट होना तय है। इससे आपने जितने पैसे खर्च किए हैं, वो सब बेकार हो जाते हैं।
अवैध रूप से विदेश जाने वाले युवकों को प्रताड़ित करके उनके घरों से पैसा मंगवाने का काम भी यह गिरोह करते हैं। हरियाणा के करनाल के एक पीड़ित के मुताबिक, एक ट्रैवल एजेंट ने उन्हें जर्मनी में ढाई लाख रुपये की जॉब का ऑफर दिया। कुल 14 लाख का खर्चा बताया, जिसके तहत शुरुआत में दो लाख रुपये दिए। आठ लाख रुपये मॉस्को पहुंचने और वहां जर्मनी का वर्क परमिट मिलने पर पर देने थे। बाकी रकम जर्मनी पहुंचने पर देने की बात हुई थी। वह मॉस्को पहुंचे तो परिजनों को कॉल कर रकम की मांग की गई। रकम नहीं मिलने पर हत्या करने की धमकी दी। कभी गर्दन पर चाकू रखते तो कभी रॉड-डंडों से पीटते और सिगरेट से शरीर को दागते। कुल 35 लाख रुपये इस तरह ऐंठ लिए गए। उन्हें आखिर में रूसी सेना के हवाले कर दिया।