महंगाई कम हुई तो ब्याज दरों में होगी कटौती : आरबीआई गवर्नर

नई दिल्‍ली। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि केंद्रीय बैंक नीतिगत दर में आगे किसी भी कटौती का फैसला लेने से पहले उभरती स्थिति पर नजर रखते हुए ‘देखो और इंतजार करो’ का रुख अपनाएगा। उन्होंने कहा, अगर मुद्रास्फीति कम है… या वृद्धि दर कम है, तो निश्चित रूप से नीतिगत दर में कटौती की जा सकती है, लेकिन हमें इस पर नजर रखनी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि आर्थिक वृद्धि और मूल्य स्थिरता दोनों समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक अगले महीने चार से छह अगस्त को होने वाली है। मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा छह अगस्त को की जाएगी। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति मुद्रास्फीति में गिरावट के साथ मानक रेपो रेट में कटौती कर रही है। साथ ही इसने तटस्थ रुख अपनाया है। तटस्थ रुख का मतलब है कि रिजर्व बैंक जरूरत के मुताबिक प्रमुख ब्याज दर में घट-बढ़ कर सकता है। केंद्रीय बैंक फरवरी से अबतक रेपो दर में कुल मिलाकर एक प्रतिशत की कटौती कर चुका है।

मल्होत्रा ने कहा कि मुद्रास्फीति के अनुमान पर आंतरिक आकलन किया जा रहा है और उन्हें नहीं पता कि यह तीन प्रतिशत होगी या नहीं। इसका कारण ये आकलन अभी चल रहा है। उन्होंने कहा, हम निश्चित रूप से अपना नवीनतम अनुमान जारी करेंगे और एमपीसी हमेशा की तरह, भविष्य के अनुमान को लेकर उभरती स्थिति को ध्यान में रखेगी।

मल्होत्रा ने कहा कि नीतिगत दर में कटौती का असर अभी शुरुआती दौर में है। जून में हमने 0.5 प्रतिशत तक की कटौती की थी। कुल एक प्रतिशत के मुकाबले अभी एक प्रतिशत तक पहुंचने में काफी समय है। अभी भी, मेरे पास जून के आंकड़े नहीं हैं। मई तक यह 0.24 प्रतिशत था। मेरा मानना है कि इसमें सुधार हुआ है, लेकिन हमें अभी काफी दूरी तय करनी है।

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति औसतन चार प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 4.6 प्रतिशत थी। क्रिसिल ने अपनी नवीनतम अध्ययन रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के सामान्य से बेहतर मानसून के पूर्वानुमान को देखते हुए वित्त वर्ष 2025-26 में खाद्य मुद्रास्फीति कम रहने की उम्मीद है।

जिंस उत्पादों के दाम कम होने से गैर-खाद्य मुद्रास्फीति भी इस दौरान कम रहेगी। क्रिसिल ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.5% रहने का अनुमान है। हालांकि, इसमें गिरावट का जोखिम बना हुआ है।

फिच रेटिंग्स ने कहा कि आरबीआई के 2025 की शुरुआत से बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त नगदी बनाए रखने की प्रतिबद्धता से 2025 में ब्याज दरों में एक प्रतिशत की कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। नकद-आरक्षित अनुपात में एक प्रतिशत की कटौती के निर्णय से लगभग 2.7 लाख करोड़ रुपये की नगदी जारी होगी।

सीआरआर में 29 नवंबर 2025 तक 25 प्रतिशत की चार किस्तों में कटौती होगी और यह घटकर तीन प्रतिशत रह जाएगी। इससे वाणिज्यिक बैंकों को नकदी के रूप में तीन प्रतिशत का निचला स्तर बनाए रखना होगा, क्योंकि आरबीआई उन्हें उधार देने के लिए अधिक धनराशि रखने की अनुमति देगा।

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