
नई दिल्ली। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि अंडमान सागर में कच्चे तेल और गैस का यह बड़ा भंडार दिखा है। यहां खनन से अच्छे संकेत मिल रहे हैं और भारत को अंडमान सागर में करीब दो लाख करोड़ लीटर कच्चे तेल का भंडार मिल सकता है। उन्होंने कहा कि अगर यह अनुमान सही निकला तो इससे भारत की जीडीपी करीब पांच गुना तक बढ़ सकती है। यह पेट्रोलियम भंडार हाल ही में गुयाना में मिले (11.6 अरब बैरल) कच्चे तेल के रिजर्व जितना हो सकता है।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। अंडमान में तेल की खोज इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अगर यह प्रयास सफल होता है, तो भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में एक नई पहचान मिलेगी। माना जा रहा है कि इसके मिलने के बाद हमारी एनर्जी की जरूरतें एक झटके में पूरी हो जाएंगी। अगर अंडमान में खोज सफल होती है, तो भारत ऑयल इंपोर्ट्स को काफी हद तक कम कर सकता है और अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकता है।
ईरान और इजरायल के बीच युद्ध भारत के लिए भी नुकसानदायक है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि युद्ध के कारण, भारत पर आर्थिक संकट का खतरा बढ़ रहा है। खासकर होर्मुज जलडमरुमध्य को लेकर चिंताएं हैं। अगर यह बंद होता है तो भारत के लिए तेल और गैस का आयात महंगा पड़ेगा। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने ईरान को 1.24 अरब डॉलर का माल निर्यात किया और 44.19 करोड़ डॉलर का आयात किया। वहीं, इजरायल के साथ 2.15 अरब डॉलर का निर्यात और 1.61 अरब डॉलर का आयात किया है।
होर्मुज जलडमरूमध्य ओमान और ईरान के बीच स्थित है, जो खाड़ी के देशों (इराक, कुवैत, सऊदी अरब, बहरीन, कतर और संयुक्त अरब अमीरात) से समुद्री मार्ग को अरब सागर और उससे आगे तक जोड़ता है। यह जलडमरूमध्य अपने सबसे संकरे बिंदु पर केवल 33 किमी चौड़ा है। यहां प्रतिदिन लगभग दो करोड़ बैरल तेल और तेल उत्पाद जहाजों पर लादे जाते हैं।