लखनऊ के शिवालयों में उमड़ती है भक्तों की भारी भीड़ 

लखनऊ।  शं करोति सः शंकरः यानि जो कल्याण करे वही शिव है। शास्त्रों के अनुसार श्रावण मास में समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल को भगवान शिव ने विश्व का कल्याण के लिए ग्रहण कर लिया था। हलाहल के प्रभाव को शांत करने के लिए देवताओं ने कई वस्तुएं अर्पित की। मान्यता यह भी है कि जिसे कोई स्वीकार न करे उसे शिव करते हैं।सावन के महीने में लखनऊ के शिवालयों में भी जबर्दस्‍त भीड़ जुटती है।

डालीगंज स्थित मनकामेश्वर मंदिर अपनी पौराणिक कथाओं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए प्रसिद्ध है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह मंदिर रामायण काल से जुड़ा है। कहा जाता है कि भगवान राम के भाई लक्ष्मण ने माता सीता को वनवास छोड़ने के बाद यहां भगवान शिव की आराधना की थी, जिससे उनके मन को शांति मिली थी। इसीलिए इस मंदिर का नाम मनकामेश्वर पड़ा। मंदिर में चांदी के सिक्के जड़े हुए हैं और गर्भगृह में भोलेनाथ भव्य रूप में विराजमान हैं।

शहर के त्रेतायुगीन मंदिरों में एक बुद्धेश्वर महादेव मंदिर भी है। मान्यता है कि जब भगवान राम ने माता सीता को वनवास भेजा था तब लक्ष्मण जी को उनकी सुरक्षा की चिंता थी। उन्होंने इसी स्थान पर भगवान शिव की आराधना की जिससे प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें दर्शन दिए और माता सीता की सुरक्षा का आश्वासन दिया। जिस दिन भगवान् लक्ष्मण को भगवान शिव के दर्शन हुए वह दिन बुधवार था इसलिए इस मंदिर में बुधवार को विशेष पूजा होती है। मंदिर के पास ही सीता कुंड स्थित है। माना जाता है कि यहां माता सीता ने स्नान किया था।

लखनऊ के रानी कटरा स्थित बड़ा शिवाला का भव्य शिवलिंग प्राचीन होने के साथ अपने आप में नायाब है। इस भव्य शिवलिंग में 1001 रूद्र बने हैं इस कारण इस शिवलिंग पर जल चढाने मात्र से 1001 शिवलिंग पर जल चढाने का पुण्य मिलता है। रानी कटरा हिंदुओं की घनी आबादी वाला क्षेत्र है और यहीं कश्मीरियों द्वारा निर्मित यह मंदिर भी है। इस मंदिर में स्थित सहस्त्र लिंग प्रतिमा सारे भारत में कहीं और आपको देखने को नहीं मिलेगी।

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