अपनी त्वचा को कैसे दे निखार

हम पदार्थ और आत्मा दोनों से मिलकर बने हैं। इसका अर्थ है कि हमारी त्वचा केवल एक बाहर दिखाई देने वाली परत के अलावा भी बहुत कुछ है, जो जीवन और क्रियाशीलता से भरपूर है। यह हमारे शरीर के अन्य अंगों की तरह ही एक अंग है और इसे स्वस्थ रखने तथा पोषण प्रदान करने की आवश्यकता है। हालांकि, सुंदरता एक भीतरी अनुभव है। जैसे कि कहा गया है कि सुंदरता प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में होती है और यह प्रत्येक व्यक्ति के चेहरे पर कांति के रूप में चमकती है। सुंदरता की परिभाषा त्वचा से परे है, लेकिन फिर भी हमारी त्वचा सुंदरता को सबसे अधिक अभिव्यक्त करती है।

आधुनिक समय के सौन्दर्य उपचार केवल शारीरिक आवश्यकता को पूर्ण करते हैं, लेकिन ये उस रहस्य के बारे में नहीं बताते जिससे आपकी त्वचा की प्रत्येक कोशिका चमके और ऊर्जा एवम् कांति से भर जाए। त्वचा संबंधी समस्याओं के सामान्य कारण हैं – उम्र,तनाव,अस्वस्थ जीवनशैली, जैसे – धूम्रपान,शराब और नशीली दवाओं का सेवन ,भोजन की गलत आदतें, शरीर में हार्मोन सम्बन्धी  बदलाव और कमज़ोर पाचन। त्वचा को कांतिमान बनाने के लिए कई प्राकृतिक सौंदर्य उपाय हैं,जो त्वचा को साफ करने और इसका कायाकल्प करने में भी मदद करते हैं। यहाँ स्वस्थ और कांतिमान त्वचा पाने के लिए सर्वोत्तम उपायों की एक सूची दी गई है।

घरेलू उपाय

सौन्दर्य का संरक्षण करने के लिए आयुर्वेद में कई उपाय हैं। आयुर्वेदिक स्क्रब या उबटन त्वजा का कोमलता से पोषण करते हैं और त्वचा को बेहतर तरीके से सांस लेने में मदद करते हैं। इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि इसके लिए आपको सारी सामग्री आपके रसोईघर में ही मिल जाएगी।

पसीना

दौड़ने,जॉगिंग करने और तीव्र गति सूर्य नमस्कार के कुछ राउंड करने से आपके शरीर में आवश्यक रक्त संचरण होगा। स्वस्थ त्वचा के लिए पसीने का आना अच्छा माना जाता है। अपना अभ्यास करने के पश्चात ठंडे पानी से स्नान करें ,क्योंकि इससे आपकी त्वचा भी साफ हो जाएगी।

योग का अभ्यास

यदि आपने अधोमुखश्वान आसन का अभ्यास किया है,तब आपने इस बात पर ध्यान दिया होगा कि यह आसन करते समय आपका ध्यान धीरे से श्वास पर आ जाता है। योग अभ्यास की सुंदरता इस बात में है कि आपका ध्यान शरीर से श्वास पर आ जाता है। हर बार,जब आप श्वास बाहर छोड़ते हैं, तो शरीर से बहुत सारे विषैले तत्व निकल जाते हैं। योग और श्वास लेने की सजग प्रक्रिया में आपके शरीर का शुद्धिकरण होता है। इससे आपकी त्वचा तरोताज़ा और ऊर्जावान हो जाती है। इससे त्वचा की कांति बनाए रखने में मदद मिलती है।

अपनी प्रकृति और दोषों के विषय में जानिये 

क्या कुछ दिन ऐसे भी होते हैं, जब आप  चाहे कोई भी लोशन लगाएं, लेकिन आपकी त्वचा रूखी ही रहती है। कभी – कभी आप और आपके मित्र एक ही उत्पाद का प्रयोग करते हैं, लेकिन उसका प्रभाव आप दोनों पर अलग – अलग होता है। यह शरीर की अद्वितीय प्रकृति के कारण होता है। आयुर्वेद के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति दो या तीन प्रकृतियों का मेल होता है: वात,पित्त और कफ।

रुचिकर बात यह है कि प्रत्येक प्रकृति के विशेष गुण होते हैं, जो आपके शरीर और व्यक्तित्व के साथ – साथ आपकी त्वचा की बनावट का भी निर्धारण करते हैं। यदि आपकी त्वचा रूखी है तो यह संभावना है कि आप में वात प्रकृति प्रभावी है। एक पित्त प्रकृति के शरीर की त्वचा सामान्य होती है,जबकि तैलीय त्वचा सामान्यतः कफ प्रकृति के लोगों की होती है। आपके शरीर की प्रकृति को जानकर इस बात को समझने में मदद मिलती है कि आपको किस प्रकार का भोजन खाना चाहिए और किस प्रकार का भोजन नहीं खाना चाहिए।

साप्ताहिक नियमावली अपनाएं

चेहरे पर कोमलता से की गई तेल की मालिश भी आश्चर्यजनक रूप से कार्य करती है।अपनी त्वचा की प्रकृति के अनुसार,आप क्षीरबला या नारायण तेल चुन सकते हैं। सरसों,नारियल,बादाम या कुमकदी बहुत अच्छे पोषक तत्व हैं, जो चमकती हुई त्वचा पाने में मदद करते हैं।

सुदर्शन क्रिया अनुपम सुन्दरता का मंत्र

ठीक प्रकार से श्वास लेने से आपको दाग-धब्बों और मुंहासों से छुटकारा मिल सकता है? हाँ, निश्चित रूप से मिल सकता है। जब हम विश्राम में होते हैं, तो तनाव के कारण उत्पन्न होने वाले मुंहासे और लाल धब्बे कम होने लगते हैं। सुदर्शन क्रिया शरीर और मन दोनों से तनाव को बाहर निकालकर शरीर और मन में सामंजस्य एवं संतुलन स्थापित करती है।

प्रतिदिन ध्यान करें

एक मोमबत्ती प्रकाश का प्रसार करती है। ध्यान इस बात को इंगित  करता है कि आपके भीतर जलने वाली मोमबत्ती में कितना प्रकाश है। आप जितना अधिक ध्यान करते हैं,आप उतने ही अधिक चमकते हैं। हम प्रायः देखते हैं कि कलाकार, ध्यान करने वालों के पीछे एक आभामंडल बनाते हैं। यह कल्पना मनगढ़ंत नहीं है। यह सच है। ध्यान करने वाले अन्दर और बाहर दोनों ओर से चमकते हैं, इस तरह उन्हें मेकअप करने की आवश्यकता नहीं होती है।

मौन सर्वश्रेष्ठ है

जब आप लंबे समय तक बहुत अधिक बातचीत करते हैं, तब आपको कैसा महसूस होता है? प्रायः आपकी सारी ऊर्जा खर्च हो जाती है। निरंतर बातचीत करना आनंददायक हो सकता है, लेकिन यह आपके शरीर और मन को निरर्थक बातों से भर देता है। मौन के द्वारा बहुत अधिक ऊर्जा का संरक्षण होता है। इसके लिए यदि आप कुछ करना चाहते हैं, तो 

अपने मन को सुरक्षित रखें

यदि आप दुखी, क्रोधित या निराश हैं, तो आपका चेहरा अच्छा नहीं लगता है। तो यह बात सुनिश्चित करें कि आप मन के लिए शांति और प्रसन्नता अर्जित करें, जिसे कोई हिला ना सके। इसके लिए ध्यान ही एकमात्र तरीका है। ध्यान कुछ विशेष लोगों के लिए ही नहीं है बल्कि यह एक आवश्यकता बन गई है।

जीवन भर युवा बने रहें 

हमें जीवन की यात्रा में चेहरे पर पड़ने वाली झुर्रियों और सफेद होते बालों के साथ ही प्रसन्न रहना चाहिए। सामान्यतः सुंदर दिखने का अर्थ नौजवान दिखना और घटनाओं के प्रति हमारा नया दृष्टिकोण होता है। लेकिन रहस्य की बात यह है कि यदि आप नौजवान महसूस करते हैं तो आप नौजवान दिखते हैं। ध्यान करने से उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और आप नौजवान एवं तरोताजा हो जाते हैं। तो आगे बढ़िये और हृदय से 18 वर्ष के नौजवान बने रहिए।

Related Articles

Back to top button