लखनऊ। उत्तर प्रदेश के वन विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए एक नई रणनीति अपनाई है। विभाग ने पिंजरे के पास ट्रैप कैमरे लगाए थे, जिन्होंने बाघ की तस्वीरें कैद की हैं। हालांकि, अब तक वन विभाग की घेरेबंदी और हथिनियों की मदद से बनाई गई रणनीति सफल नहीं हो पाई है। मंगलवार को वन विभाग के विशेषज्ञों ने बाघ को पकड़ने के लिए ‘हनी ट्रैप’ तकनीक का सहारा लिया है।
इस रणनीति के तहत बाघिन के मूत्र और मादा बाघ की दहाड़ की रिकॉर्डिंग का उपयोग किया जा रहा है। पिंजरे में बाघिन का मूत्र डाला गया है और लाउडस्पीकर से मादा बाघ की आवाज को बजाया जा रहा है। प्रभागीय निदेशक सितांशु पांडेय के अनुसार, इस योजना का उद्देश्य बाघ को मेटिंग के लिए आकर्षित करना है, जिससे उसे आसानी से पकड़ने में मदद मिल सके। विभाग को उम्मीद है कि यह तरकीब बाघ को पिंजरे में फंसाने में सफल साबित होगी।
वन विभाग ने बाघ को नुकसान पहुंचाए बिना पकड़ने की योजना बनाई है। विशेषज्ञ डॉक्टर पिंजरे के अंदर सुरक्षित रूप से बैठकर ट्रैंकुलाइज गन का इस्तेमाल करेंगे। इससे बाघ को बेहोश कर उसे सुरक्षित रूप से रेस्क्यू किया जा सकेगा। अधिकारियों के अनुसार, बाघ को पकड़ने के लिए लगाए गए पिंजरे के बाहर अब भैंस के पड़वा को बांधा गया है। पिंजरे को छिपाते हुए उसके अंदर ही विशेषज्ञ डॉक्टर बैठेंगे। वह सुरक्षित रहते हुए पिंजरे के अंदर से बाघ को ट्रैंकुलाइज करने की कोशिश करेंगे। इससे बाघ को बिना नुकसान हुए पकड़ने की योजना है।