
एचएमपीवी (ह्यूमन मेटापे न्यूमोवायरस) एक प्रकार का RNA वायरस है जो मुख्य रूप से सांस की नलिकाओं को प्रभावित करता है। यह वायरस आमतौर पर सर्दी-खांसी जैसे हल्के लक्षण उत्पन्न करता है, लेकिन अगर इसका संक्रमण कमजोर इम्यून सिस्टम वाले व्यक्ति को हो तो यह गंभीर समस्याएं भी उत्पन्न कर सकता है, जैसे निमोनिया और ब्रोंकाइटिस।
HMPV का इतिहास 2001 से शुरू होता है, जब इसे पहली बार नीदरलैंड में पाया गया था। हालांकि, सामान्यत: यह वायरस गंभीर रूप से नहीं फैलता है, लेकिन इसके संक्रमण की गति और प्रभाव के कारण विशेषज्ञों ने इसके प्रसार को लेकर चिंता जताई है। कुछ स्टडीज में यह दावा किया गया है कि यह वायरस पिछले छह दशकों से दुनिया में मौजूद है, लेकिन इसका पता पहले नहीं चल पाया था।
ह्यूमन मेटापे न्यूमोवायरस (HMPV) मुख्य रूप से बच्चों, कमजोर प्रतिरक्षी क्षमता वाले व्यक्तियों और बुजुर्गों को प्रभावित करता है। यह वायरस श्वसन तंत्र (respiratory system) पर हमला करता है और सामान्य से लेकर गंभीर श्वसन समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। HMPV के संक्रमण से सर्दी-खांसी, बुखार, गले में खराश, और सांस लेने में कठिनाई जैसी हल्की समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, कमजोर प्रतिरक्षी क्षमता वाले व्यक्तियों और बुजुर्गों में यह वायरस निमोनिया (pneumonia) और ब्रोंकाइटिस (bronchitis) जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है, जो उपचार में जटिलता पैदा कर सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह वायरस श्वसन तंत्र के अंदर गहरे हिस्सों तक पहुँचकर गंभीर संक्रमण कर सकता है, खासकर उन लोगों में जिनका इम्यून सिस्टम पहले से कमजोर हो या जो किसी अन्य गंभीर बीमारी से जूझ रहे हों। इस वायरस के प्रसार की गति और इसके प्रभाव के कारण इसे लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों में चिंता बनी हुई है, खासकर उन लोगों के लिए जो पहले से किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं।
एचएमपीवी के लक्षण कोरोनावायरस और फ्लू से मिलते-जुलते हैं। जिससे इसे पहचानना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसके लक्षण सामान्य सर्दी, खांसी, गले में खराश, बुखार और घरघराहट जैसे होते हैं। इस वायरस का मुख्य प्रभाव छोटे बच्चों और बुजुर्गों पर होता है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से यह वायरस फैलता है और संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाने या किसी वस्तु को छूने से भी यह बीमारी फैल सकती है। वायरस से संक्रमित होने के बाद लक्षण 3 से 5 दिनों के भीतर दिखने लगते हैं। हालांकि, यह वायरस आमतौर पर हल्का प्रभाव डालता है, लेकिन गंभीर मामलों में निमोनिया और ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
एचएमपीवी (ह्यूमन मेटापे न्यूमोवायरस) के संक्रमण का असर सामान्य मामलों में आमतौर पर तीन से पांच दिन तक रहता है। इस दौरान, संक्रमित व्यक्ति को सर्दी-खांसी, बुखार, गले में खराश जैसी हल्की श्वसन समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, यदि कोई व्यक्ति कमजोर स्वास्थ्य का है, जैसे कि बुजुर्ग या जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है, तो यह वायरस ज्यादा समय तक गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है और श्वसन तंत्र को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
एचएमपीवी आमतौर पर मौसमी संक्रमण माना जाता है, जो ठंड के मौसम में अधिक प्रभावी होता है। इसका कारण यह है कि ठंडे मौसम में वायरस के फैलने की गति बढ़ जाती है। हालांकि, कुछ स्थानों पर यह वायरस पूरे साल सक्रिय रहता है और इन स्थानों में इसके संक्रमण का खतरा हमेशा बना रहता है। HMPV वायरस के लिए अभी तक कोई एंटीवायरल दवा या वैक्सीन नहीं है। सामान्य तौर पर इसका प्रभाव हल्का होता है और इसे घर पर आराम से प्रबंधित किया जा सकता है। गंभीर मामलों में ऑक्सीजन थेरेपी, IV ड्रिप और स्टेरॉयड्स का उपयोग किया जाता है।
भारत ने स्थिति पर सतर्क नजर बनाए रखी है। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने कहा है कि देश में श्वसन और मौसमी इन्फ्लुएंजा के मामलों की निगरानी की जा रही है। इसके साथ ही भारत अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसियों के संपर्क में है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया हैं कि हम स्थिति का गहनता से आकलन कर रहे हैं और आवश्यकता पड़ने पर विस्तृत जानकारी साझा करेंगे। फिलहाल किसी भी प्रकार की घबराहट की आवश्यकता नहीं है।
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस), डॉ. अतुल गोयल ने ह्यूमन मेटापे न्यूमोवायरस (HMPV) के बारे में स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह वायरस सांस संबंधी अन्य वायरस की तरह है, जो सामान्य सर्दी और जुकाम का कारण बनता है। उन्होंने बताया कि यह वायरस विशेष रूप से युवाओं और बुजुर्गों में फ्लू जैसे लक्षण पैदा करता है, लेकिन भारत में अभी तक इस वायरस के कारण किसी बड़े प्रकोप का कोई संकेत नहीं मिला है।
डॉ. गोयल ने दिसंबर 2024 के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि भारत में श्वसन संक्रमण के मामलों में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि देश के किसी भी स्वास्थ्य संस्थान से बड़ी संख्या में संक्रमण के मामले सामने नहीं आए हैं।
इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से तैयार हैं और मौजूदा स्थिति को लेकर घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि सर्दियों के मौसम में श्वसन संक्रमण के मामलों में स्वाभाविक रूप से वृद्धि होती है, लेकिन हमारे अस्पतालों में ऐसे प्रकोपों से निपटने के लिए आवश्यक दवाओं, ऑक्सीजन, और बिस्तरों की पूरी व्यवस्था है।