हिन्दी हमेशा से हिन्दुस्तान की पहचान रही है। कहा जाये तो हिन्दुस्तान एक देश है और इसकी सांस है हिन्दी, बिना सांस (हिंदी) के हिन्दुस्तान में निवास करना और यहां की संस्कृति को बनाये रखना मुश्किल है। इसलिये हिन्दुस्तान देश में हिन्दी की अपनी महत्वता है, जिसे हिन्दुस्तान देश से कभी नहीं मिटाया जा सकता।
हिंदी हमेशा से ज्ञान और भाव की भाषा रही है, तभी दुनिया में बुध्दिमत्ता के मामले में हिन्दुस्तानियों का डंका पिटता रहा है। हिंदी सदा दुनियां में पे्रम के भाव से बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी शब्द है हमारी आवाज का हमारे बोलने का जो कि हिन्दुस्तान में बोली जाती है। आज देश में जितनी भी क्षेत्रीय भाषाएँ हैं, उन सबकी जननी हिंदी है। और हिंदी को जन्म देने वाली भाषा का नाम संस्कृत है। जो कि आज देश में सिर्फ प्रतीकात्मक रूप से हिंदी माध्यम के स्कूलों में एक विषय के रूप में पढाई जाती है।
आज देश के लिए इससे बडी विडम्बना क्या हो सकती है कि जिस भाषा को हम अपनी राष्ट्रीय भाषा कहते हैं, आज उसका हाल भी संस्कृत की तरह हो गया है। जिस तरफ देखो उस तरफ अंग्रेजी से हिंदी और समस्त भारतीय भाषाओं को दबाया जा रहा है। चाहे आज देश में इंटरमीडिएट के बाद जितने भी व्यावसायिक पाठयक्रम हैं, सब अंग्रेजी में पढाये जाते हैं। अगर देश की शिक्षा ही देश की राष्ट्रीय भाषा में नहीं है तो हिंदी जिसे हम अपनी राष्ट्रीय भाषा मानते है। जिसे हम एक दूसरे का दुख दर्द बांटने की कडी मानते है। उसका प्रसार कैसे हो पायेगा। कहा जाये तो हिन्दी बिना हिन्दुस्तान अधूरा है।
देश की एकता और अखण्डता को बनाये रखनें में हिन्दी का अहम योगदान है। आज हिन्दी सिनेमा विश्व में एक अहम स्थान रखता है। बॉलीवुड की पहचान भी हिन्दी से ही है। हिन्दी की वजह से ही बाॅलीवुड में हजारों लोगों को रोजगार मिलता है। हिन्दी भाषा सिर्फ वार्तालाप और संचार का ही माध्यम नहीं है बल्कि यह देश में रोजगार के सृजन का भी माध्यम है। आज हिन्दी सिनेमा से लेकर हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं, समाचार-पत्रों, और सोशल मीडिया पर हिन्दी का बोलबाला है, जो कि देश में लाखों रोजगार पैदा करते हैं।
आज इंटरनेट पर भीप करोड़ों लोग हिंदी का अनुसरण करते हैं, इसलिए आज हिन्दुस्तान में सोशल मीडिया (फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, गूगल प्लस) भी अपना रूपांतरण हिंदी में कर चुका है और करोड़ों लोग फेसबुक तय ट्विटर में अपने विचार हिंदी में साझा करते हैं। आज विदेशी वेबसाइटें भी अपना हिंदी संस्करण हिन्दुस्तान में प्रारंभ कर रहीं है क्योंकि उनको पता है कि हिन्दुस्तान में अगर उनको टिकना है तो हिंदी को बढ़ावा देना ही होगा।