ऑटोइम्यून विकार है गिलियन-बैरे सिंड्रोम

गिलियन-बैरे सिंड्रोम(GBS) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर ऑटोइम्यून विकार है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली परिधीय तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है। इस स्थिति में, शरीर की प्रतिरक्षा कोशिकाएँ तंत्रिका तंतुओं को नष्ट कर देती हैं, जिसके परिणामस्वरूप मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नता, दर्द और अन्य लक्षण विकसित हो सकते हैं।

यदि स्थिति का इलाज समय रहते नहीं किया जाए, तो यह पक्षाघात जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है। GBS के लक्षण अचानक शुरू होते हैं और इनमें समय के साथ तेजी से वृद्धि हो सकती है। कुछ लोगों को मांसपेशियों में दर्द या शरीर के अन्य हिस्सों में ऐंठन महसूस हो सकती है।

GBS के लक्षणों में कमजोरी और सुन्नता सबसे पहले हाथों और पैरों में महसूस होती है, और फिर धीरे-धीरे शरीर के अन्य हिस्सों तक फैल सकती है। कुछ मामलों में, यह सांस लेने में परेशानी का कारण भी बन सकता है, जो जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकता है।

GBS का इलाज आमतौर पर इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी या प्लाज्माफेरेसिस से किया जाता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को सही दिशा में काम करने में मदद करता है। साथ ही, गहन चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता भी हो सकती है। शुरुआती निदान और उपचार की तेजी से शुरुआत, रोग के प्रभाव को कम करने और रोगी की हालत को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।

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