
पुणे में इन दिनों गुइलेन-बर्रे सिंड्रोम काफी तेजी से फैल रहा है। बता दें कि संक्रमण के बाद यह होने वाली न्यूरोलॉजिकल बीमारी है। अब तक इस बीमारी के 100 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। वहीं महाराष्ट्र के एक शहर में इस बीमारी से एक मौत भी हो गई है। तो वहीं करीब 14 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। GBS एक ऐसी दुर्लभ स्थिति है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली नसों पर हमला करती है। जिसकी वजह से सुन्नता, कमजोरी और लकवा पैदा हो सकता है। कैंपिलोबैक्टर जेजुनी नाम का बैक्टीरिया पेट के संक्रमण का कारण बनता है। आमतौर पर हाथों-पैरों में झुनझुनी और कमजोरी इसके शुरूआती लक्षण होते हैं। यह लक्षण काफी तेजी से फैल सकते हैं और यह स्थति लकवे तक भी पहुंच सकती है। अपने सबसे गंभीर रूप में यह सिंड्रोम एक मेडिकल इमरजेंसी बन सकता है।
बता दें कि दूषित भोजन या पानी के सेवन से कैंपिलोबैक्टर जेजुनी का संक्रमण हो सकता है। बिना पाश्चुरीकृत दूध, कच्चा या अधपका चिकन और गंदा पानी इस बीमारी के प्रमुख स्त्रोत हैं। खाना बनाते हुए एक ही कटिंग बोर्ड या बर्तन का उपयोग करने से क्रॉस-कंटैमिनेशन के जरिए बैक्टीरिया फैल सकता है। वहीं संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने या फिर कच्चा मांस आदि छूने के बाद हाथ न धोने की वजह से भी इसका जोखिम बढ़ता है।
जिन स्थानों पर साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता है और खाद्य सुरक्षा के तरीकों को ठीक से नहीं अपनाया जाता है, वहां पर इसका प्रकोप अधिक होता है। बैक्टीरिया जब शरीर में जाता है, तो यह आंतों की परत को संक्रमित करते हैं। इससे पेट में ऐंठन, दस्त, बुखार और जी मिचलाने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
आमतौर पर पैरों में झुनझुनी, कमजोरी या फिर सुन्नता से शुरू होती है। यह कमजोरी हाथों और शरीर के ऊपरी हिस्से तक फैल सकती है। गंभीर मामलों में यह लकवा भी हो सकता है। इसके अन्य लक्षणों में चेहरे की गतिविधियों में कठिनाई, लड़खड़ाकर चलना और असामान्य हृदय गति या रक्तचाप आदि शामिल है। कुछ लोगों को सांस लेने में तकलीफ, मूत्राशय/आंत्र नियंत्रण में कमी और तेज दर्द आदि का अनुभव होता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक GBS संक्रामक नहीं है। यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है और इसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपनी नसों पर हमला करता है और नुकसान पहुंचाता है। वहीं यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। हाल के प्रकोप का सटीक वजह पता लगाया जाना अभी बाकी है। वहीं GBS होने का खतरा अधिक होता है, इसका कोई विशिष्ट समूह नहीं है। लेकिन आमतौर पर यह संक्रमण सर्जरी या पुरानी बीमारी की वजह से कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को अधिक खतरा हो सकता है।
पनीर, चावल और चीज़ खाने से बचना चाहिए। क्योंकि इन चीजों में बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं, क्योंकि इनमें नमी की मात्रा ज्यादा होती है। हालांकि यह पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। पनीर और चीज डेयरी उत्पाद हैं, इसलिए इनको अगर सही तरीके से स्टोर नहीं किया जाता है, तो इनमें साल्मोनेला, लिस्टेरिया और ई। इनमें कोलाई होने की संभावना होती है और पके हुए चावल में बैसिलस सेरेस हो सकता है। जो कमरे के तापमान पर यदि छोड़ दिया जाए, तो इनमें जहर पैदा हो सकता है। जिससे फूड पॉइजनिंग हो सकती है।
ये खाने-पीने की चीजें ‘डेंजर जोन’ में जल्दी खराब हो सकती हैं। इन जगहों पर बैक्टीरिया तेजी से बढ़ते हैं। बैक्टीरिया के दूषित होने और फूड पॉइजनिंग की संभावना को कम करने के लिए इनको फ्रिज में स्टोर करना चाहिए या फिर खा लेना चाहिए। इस बीमारी से बचने के लिए बाहर का खाना न खाने का आग्रह किया है। उन्होंने बताया कि जेजुनी बैक्टीरिया की वजह होने वाला गैस्ट्रोएंटेराइटिस है। हालांकि इसके कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। लेकिन एक कारण ऐसा भी है, जिससे हम बच सकते हैं। इसलिए बाहर का खाना खाने से बचना चाहिए और दूषित भोजन और पानी से बचना चाहिए।