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भारत की प्राचीन दृष्टि में वसुधैव कुटुम्बकम् का विचार है जिसका अर्थ है पूरा विश्व एक परिवार है। यह विचार भारतीय संस्कृति के मूल में समाहित है और यह भारत की विदेश नीति का एक अहम हिस्सा रहा है। इसका मतलब यह है कि भारत हर देश, समाज और संस्कृति को समान रूप से देखता है और किसी भी प्रकार की भेदभाव की बजाय सभी के साथ शांति और सहयोग की भावना से पेश आता है। भारत की विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण में हमेशा से “विश्व बंधुत्व” की भावना प्रमुख रही है।
यह सिद्धांत भारत की संस्कृति और इतिहास से जुड़ा हुआ है, जिसमें मानवता, शांति, और सह-अस्तित्व का आदर्श प्रस्तुत किया गया है। भारत ने हमेशा से ही बहुपक्षीय संवाद और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के माध्यम से वैश्विक चुनौतियों का समाधान ढूंढ़ने की कोशिश की है। जैसे संयुक्त राष्ट्र (United Nations), ब्रिक्स (BRICS), शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO), और G20 जैसे मंचों पर भारत सक्रिय रूप से भाग लेता है। भारत का यह दृष्टिकोण वैश्विक समस्याओं जैसे जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, विकासशील देशों का उत्थान, और सामाजिक असमानता को सामूहिक रूप से हल करने पर केंद्रित है।
भारत ने विकासशील देशों के साथ सहयोग बढ़ाया है और इन देशों के साथ आपसी संबंधों को मजबूत किया है। इस सहयोग का उद्देश्य विकासशील देशों के सामाजिक, आर्थिक, और तकनीकी विकास में सहायता करना है।भारत ने अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशिया के कई देशों के साथ अपने विकासात्मक अनुभवों और संसाधनों को साझा किया है, ताकि वे भी प्रगति कर सकें। भारत की विदेश नीति में हमेशा से ही संकीर्ण राष्ट्रीय हितों से परे वैश्विक कल्याण और सहयोग को प्राथमिकता दी गई है।
भारत ने कभी भी अपनी विदेश नीति को केवल अपने राष्ट्रीय लाभ तक सीमित नहीं रखा, बल्कि दुनिया के समग्र हित को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिए हैं।उदाहरण के रूप में, भारत ने अपनी परमाणु नीति में ‘नो फर्स्ट यूज़’ (No First Use) का सिद्धांत अपनाया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत शांति और स्थिरता की दिशा में हमेशा प्रतिबद्ध रहेगा। भारत ने हमेशा अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से काम किया है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों (UN Peacekeeping Missions) में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भारत का मानना है कि वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए केवल सैन्य बल से काम नहीं चलता, बल्कि आर्थिक, सामाजिक, और राजनीतिक स्थिरता की दिशा में भी प्रयास करना जरूरी है। भारत की सांस्कृतिक कूटनीति ने भी वैश्विक सहयोग को बढ़ावा दिया है। भारतीय संस्कृति, योग, आयुर्वेद, बॉलीवुड, और विभिन्न सांस्कृतिक पहलुओं ने विश्वभर में भारत की छवि को मजबूत किया है। इन पहलुओं ने देशों को जोड़ने और आपसी समझ बढ़ाने में मदद की है। भारतीय संस्कृति का एक और महत्वपूर्ण विचार “सर्वे भवन्तु सुखिनः” है, जिसका अर्थ है “सभी सुखी हों”।
भारत की यह सोच सभी मानवता की भलाई के लिए है, और यह अपने लोगों से लेकर दूसरे देशों तक सभी के लिए कल्याण की कामना करता है। दुनिया के किसी भी देश में कैसा भी संकट आया हो भारत उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा नजर आता है। इसी को कहते हैं विश्व बंधुत्व की भावना। वैश्विक परिवार दिवस यदि दुनिया का कोई देश सही मायने में मनाता है तो वह भारत ही हैं। भारत में आज भी अतिथि देवो भव की भावना जिंदा है। यहां के लोग स्वयं भूखे रहकर अतिथियों को भोजन करवाना अपना परम धर्म समझते रहे हैं।
वैश्विक परिवार का अर्थ है वसुधैव कुटुम्बकम इसका मूल सिद्धांत यह है कि संपूर्ण मानवता एक परिवार है। इस विचारधारा के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह किसी भी राष्ट्र, जाति, या धर्म से हो, एक ही व्यापक परिवार का हिस्सा है। इस सिद्धांत के अनुसार, विश्व में सभी का समान महत्व है और हर किसी को समान सम्मान मिलना चाहिए। दुनिया भर में लोग नए साल की पहली सुबह का आनंद उठाते हैं। लोग अपने दोस्तों, परिवार और करीबी लोगों के इस खास दिन का जश्न मनाते हैं। नए साल के साथ ही साल के पहले दिन यानी एक जनवरी को वैश्विक परिवार दिवस भी मनाया जाता है।
हर साल एक जनवरी को मनाए जाने वाले इस दिवस के जरिए परिवारों के माध्यम से राष्ट्रों और संस्कृतियों में एकता, समुदाय और भाईचारे की भावना पैदा करता है। दुनिया में शांति बनाए रखने के लिए जरूरी है कि एक परिवार का निर्माण हो। ताकि विश्व में शांति की स्थापना होने के साथ ही हिंसा भी कम की जा सकें। जब पूरी दुनिया नए साल का जश्न मनाती है। उसी दिन पूरे विश्व में वैश्विक परिवार दिवस मनाया जाता है। ताकि विश्व में रहने वाले सभी लोग एक परिवार की तरह रहें। इस तरह विश्व के सभी राष्ट्रों और समुदाय में भाईचारे की भावना पैदा हो सके।
वैश्विक परिवार दिवस जिसे विश्व शांति दिवस के रूप में भी जाना जाता है। दुनिया में सद्भाव और एकता की अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए हर साल मनाया जाता है। यह दुनिया के एक वैश्विक गांव के विचार पर जोर देता है। जिसमें नागरिकता, सीमा या नस्ल की परवाह किए बिना हम सभी एक परिवार हैं। एक खुशहाल परिवार वह परिवार नहीं है जिसमें हर कोई एक दूसरे के जैसा सोचता, काम करता, महसूस करता या व्यवहार करता हो। एक खुशहाल परिवार की एक पहचान यह है कि पूरा परिवार एक दूसरे को वैसे ही स्वीकार करता हैं। यह दिन पूरे विश्व को एक परिवार मानता है।
वैश्विक परिवार दिवस को शांति और साझाकरण के वैश्विक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य बहुसंस्कृतिवाद, बहुलवाद को बढ़ावा देना और शांति और सद्भाव के साथ एक-दूसरे के साथ रहना सिखाना है। यह दिन विश्व के एक वैश्विक परिवार होने के विचार को बढ़ावा देता है। इसका उद्देश्य एकजुट होना और इस विचार को बढ़ावा देकर शांति का संदेश फैलाना है कि पृथ्वी एक वैश्विक परिवार है। ताकि दुनिया को सभी के लिए रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाया जा सके। वैश्विक परिवार दिवस की उत्पत्ति दो पुस्तकों में हुई थी।
पहली 1996 में अमेरिकी लेखकों स्टीव डायमंड और रॉबर्ट एलन सिल्वरस्टीन द्वारा लिखित वन डे इन पीस 1 जनवरी 2000 नामक बच्चों की किताब थी। वहीं दूसरी किताब अमेरिकी शांति कार्यकर्ता और लेखक लिंडा ग्रोवर का 1998 का यूटोपियन उपन्यास ट्री आइलैंडरू ए नॉवेल फॉर द न्यू मिलेनियम थी। विशेष रूप से ग्रोवर ने 1 जनवरी को शांति के वैश्विक दिवस के रूप में स्थापित करने काफी अहम भूमिका निभाई थी। इन किताबों के विचारों के आधार पर ही 1997 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1 जनवरी को शांति का एक दिन मनाने की घोषणा की।
बाद में 1999 में संयुक्त राष्ट्र और इसके सदस्य देशों ने पहली बार वैश्विक परिवार दिवस मनाया गया। इस दिवस की सफलता को देखते हुए साल 2001 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन को एक वार्षिक कार्यक्रम के रूप में स्थापित किया। इसके बाद से हर साल एक जनवरी को वैश्विक परिवार दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। नए साल की शुरुआत के साथ ही इस दिन को मनाने का मकसद एक ऐसे समाज की स्थापना करने का प्रयास है जहां सिर्फ शांति हो।
हालांकि यह एक नई शांतिपूर्ण दुनिया की शुरुआत थी और 1999 में सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों को शांति निर्माण की दिशा में रणनीति विकसित करने के लिए उस विशेष वर्ष के पहले दिन को औपचारिक रूप से समर्पित करने का निमंत्रण मिला। इस दिन के सकारात्मक प्रभाव को देखते हुए 2001 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक परिवार दिवस को एक वार्षिक कार्यक्रम घोषित किया गया। पहला वैश्विक परिवार दिवस पहली बार वर्ष 2000 में एक जनवरी को देखा गया था। तब से हर साल नए साल के पहले दिन को वैश्विक परिवार दिवस के रूप में मनाया जाता है।
नए साल के आगाज साथ ही वैश्विक परिवार दिवस भी मनाया जाता है। वैश्विक परिवार दिवस को हर साल एक जनवरी को मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया के सभी देशों, धर्मों के बीच शांति की स्थापना करते हुए युद्ध और अहिंसा को टालना है। साथ ही यह भी कोशिश है कि आपसी मतभेदों को बात-चीत के जरिए से निपटाया जाए और एक शांतिपूर्ण समाज की स्थापना की जा सके। इस दिन के लिए परिवार को काफी अहम माना गया है। क्योंकि परिवार के जरिए ही विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है। वैश्विक परिवार दिवस मनाने का सबसे अच्छा तरीका अपने परिवार के साथ दिन बिताना है।
इस दिन लोग एक साथ रात्रिभोज की योजना बनाते हैं और अन्य पारिवारिक गतिविधियों का आनंद लेते हैं जो उनके बंधन को मजबूत करते हैं और शांति को बढ़ावा देते हैं। परिवार के साथ मनोरंजक गतिविधियों में एक साथ शिविर लगाना या एक साथ खाना बनाना, पिकनिक पर जाना, ट्रेक और बहुत कुछ शामिल हो सकता है। इस दिन को समुदाय के हिस्से के रूप में मनाने के लिए आप उन संगठनों के लिए स्वयंसेवक बन सकते हैं जो समुदाय का निर्माण करते हैं, हिंसा को कम करते हैं और अपने परिवार के साथ सुरक्षा को बढ़ावा देते हैं।
इस दिवस से हमें पूरे विश्व को एक परिवार के रूप में बनाने की प्रेरणा मिलती है। आप वैश्विक शांति की दिशा में प्रयासों के बारे में कोई भी फिल्म देख सकते हैं। आज पूरी दुनिया में युद्ध का वातावरण बना हुआ है। कई देशों में युद्ध छिड़ा हुआ है तो कई देश युद्ध के मुहाने पर खड़े हुए हैं। तीसरे विश्व युद्ध की आशंका व्यक्त की जा रही है। लोग एक दूसरे के दुश्मन बनते जा रहे हैं। जरा जरा सी बात पर लड़ाई झगड़ा होने लगता है। ऐसे में वैश्विक परिवार दिवस हमारे लिए आशा की एक नई किरण लेकर आता है।
यदि हम वैश्विक परिवार दिवस की अवधारणा के अनुरूप एक दूसरे के प्रति सहयोग की भावना अपना कर काम करे तो दुनिया शांति के पथ पर चलने लगेगी और सही मायने में इस दिवस की सार्थकता भी सिद्ध हो सकेगी। भारत ने अपनी विदेश नीति में हमेशा विश्व बंधुत्व के सिद्धांत को अपनाया है और पूरी दुनिया को एक परिवार के रूप में देखा है। यह देश सिर्फ अपने हितों के बारे में नहीं सोचता, बल्कि वैश्विक शांति, सहयोग और समृद्धि की दिशा में काम करता है। भारत का यह दृष्टिकोण न केवल उसकी परंपराओं से जुड़ा है, बल्कि आज की वैश्विक चुनौतियों को हल करने के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है।