
गाजियाबाद: गाजियाबाद के वसुंधरा सेक्टर 17 ग्रीन व्यू अपार्टमेंट में सीढ़ी गिरने की घटना के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। एक तरफ जहां आवास विकास परिषद ने सोसायटी आरडब्ल्यूए को नोटिस जारी कर अनुरक्षण (मेटिनेंस) करने के साथ ही छतों -सीढ़ियों पर रखे गमले हटाने के निर्देश दिए हैं। वहीं स्थानीय निवासियों ने आवास विकास परिषद से ग्रीन व्यू अपार्टमेंट सहित परिषद के निर्मित सभी भवनों का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराये जाने की मांग उठाई है।
आवास विकास परिषद ने फिलहाल एच ब्लॉक में जहां सीढ़ी गिरी है, वहां लोहे का जाल लगा दिया है। सीढ़ी का मलबा भी उठा दिया गया है। इसे लेकर वसुंधरा में आवास की अन्य सोसायटी के लोगों ने भी अपनी सोसायटी की जर्जर स्थिति को लेकर स्ट्रक्चरल ऑडिट की मांग की है।
रेजिडेंट वेलफेयर असोसिएशन के संरक्षक अमित किशोर का कहना है कि यह हादसा एक चेतावनी है। लोग अपने घरों में सुरक्षित नहीं है। यह परिषद की घोर लापरवाही और भ्रष्टाचार का नतीजा है। अन्य सेक्टरों में स्थित जर्जर भवनों की सूची बनाकर प्राथमिकता के आधार पर मरम्मत या पुनर्निर्माण के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
उधर आरडब्ल्यूए का कहना है कि पूरी सोसायटी की बिल्डिंग जर्जर स्थिति में है। यह घटिया निर्माण सामग्री के कारण है। जिनके मकान एच-110 संजीव शर्मा के सामने की सीढ़ी रविवार को गिरी थी तो वह घटना के बाद ही परिवार के साथ चले गए हैं। सोमवार देर शाम तक उनके घर के बाहर ताला लटका हुआ था।
एच ब्लॉक, फर्स्ट फ्लोर पर रहने वाली अर्चना ने कहा, मेरे घर भवन संख्या-108 के ऊपर का मामला है। घटना के बाद रात भर नींद नहीं आई। यही डर सता रहा था कि अब कोई दूसरी सीढ़ी भी गिर सकती है। गमले को मुद्दा बनाया जा रहा है जो गलत है। यह एक कारण हो सकता है लेकिन पूरी सीढ़ी का हिस्सा गिर जाए, ऐसा नहीं होता। मैं डर से दूसरे कमरे में सोई ताकि बाहर कुछ हो तो हमें पता चल सके। हल्की सी आवाज में भी डर लग रहा है।
वहीं आरडब्ल्यूए अध्यक्ष एच के चौहान ने कहा, अतिक्रमण को लेकर आवास विकास को कई शिकायत पत्र दिए, लेकिन कोई जवाब या करवाई नहीं हुई। बस एक केस में वह तोड़ कर गए थे। पूरी बाउंड्री जर्जर हालत में है लेकिन आवास विकास ने संज्ञान नहीं लिया। जी ब्लॉक में 301 से 307 तक 7 परिवार मौत के झूले में झूल रहे हैं। हकीकत यह है कि आवास विकास ने जो माल लगाया है वह बिलकुल घटिया है। जिसका आखिरी अंजाम सिर्फ मौत है।
पंकज का कहना है, हम सभी डर के साये में जी रहे हैं। सोसायटी में कई ब्लॉक में स्थिति खराब है। सिर्फ सीढ़ियां ही नहीं पूरा प्लास्टर उखड़ चुका है और ईंट नजर आ रही है। गमले एक कारण जरूर हो सकते हैं लेकिन उनसे स्ट्रक्चर नहीं खराब हो सकता। यह हादसा चेतावनी है। लोग अपने ही घर में सुरक्षित नहीं है।
वसुंधरा सेक्टर 15 स्थित शिखर एनक्लेव शुरू से ही निम्न गुणवत्ता के कारण विवादों के घेरे में रहा है। रेजिडेंट्स का कहना है कि वर्ष 2011 में प्रोजेक्ट लॉन्च करते समय परिषद ने उच्च क्वालिटी का भरोसा लोगों को दिया था। मानकों के अनुरूप गुणवत्ता न होने के कारण 2018 में तत्कालीन आवास आयुक्त के इस प्रोजेक्ट से जुड़े 16 अभियंताओं पर निलंबन की कार्रवाई का आदेश जारी किया था। प्रोजेक्ट पूर्ण होते ही जगह-जगह से प्लास्टर गिरना व मानकों के अनुरूप बिल्डर के पानी की निकासी के लिए लगे पाइपों का इस्तेमाल न करने से सीपेज की गंभीर समस्या बनी हुई है।
इसे लेकर निवासियों ने सोशल मीडिया पर स्ट्रक्चरल ऑडिट की मांग की है। निवासी संदीप ने बताया कि परिसर के कई पिलर अत्यधिक सीलन के कारण अंदरूनी सरिए जंग खा गए हैं, जिससे बिल्डिंग कमजोर होती जा रही है। 2023 में आवंटियों का तत्कालीन आवास आयुक्त ने पार्किंग का अलॉटमेंट, यूजीआर के पैनल बॉक्स का निर्माण व सभी ब्लॉक का रिपेयर-फ़ाइनल पैंट शीघ्र कराने का लिखित भरोसा दिया था, लेकिन दो वर्ष से अधिक की अवधि बीतने के बाद भी समस्या जस की तस है।
आवास विकास ने 3 अगस्त को ग्रीन व्यू अपार्टमेंट में हुए हादसे के बाद सोमवार शाम को यहां के आरडब्ल्यूए केा वॉर्निंग लेटर जारी करते हुए कहा है कि यहां अनुरक्षण का अभाव है। भवनों के टेरेस को गार्डन के रूप में परिवर्तित करके अत्यधिक बागवानी की जा रही है और निर्धारित लोड व संख्या से अधिक पानी की टंकियां लगाई जा रही हैं। साथ ही भारी गमले रखे गए हैं जो स्टेयरकेस पर अनावश्यक लोड डालने के साथ ही पानी के रिसाव से वेस्ट स्लैब के ओपन जॉइंट्स में प्रवेश कर इसे डैमेज कर रहे हैं।
ऐसा ही वॉर्निंग लेटर आवास विकास ने वसुंधरा सेक्टर 17 में गीतांजलि एन्क्लेव आरडब्ल्यूए और कोनार्क एनक्लेव आरडब्ल्यूए को भी जारी किया गया है। आवास विकास वसुंधरा जोन के इंचार्ज एग्जीक्यूटिव इंजीनियर निखिल माहेश्वरी ने कहा कि इस पूरी घटना के लिए आरडब्ल्यूए जिम्मेदार है। दूसरी जगहों पर निरीक्षण में भी यही कमियां मिली हैं। इसलिए उन्हें भी वॉर्निंग लेटर जारी किया गया है।
एच 110 के निवासी (पीड़ित )संजीव शर्मा और उनका बेटा साहिल दोनों वर्किंग हैं। साहिल ने बताया कि घटना के बाद से पूरे दिन नीचे इंतजार किया और जब रविवार रात में लोहे का जाल लगा तब दोनों लोग घर गए। उन्होंने बताया कि हमारे घर से बाहर जाने का एक्सेस ही खत्म हो गया है। पड़ोसियों ने बताया कि साहिल की मम्मी और छोटा भाई पंजाब गए हुए हैं। इस घटना के बाद उन्हें कुछ दिन बाद आने के लिए कहा गया है।