
गंगा सप्तमी उस दिन को कहा जाता है जब मोक्षदायिनी और प्राणदायिनी मां गंगा धरती पर हमें जीवनदान देने के लिए आई थीं। यानी कि गंगा सप्तमी मां गंगा के धरती पर प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां गंगा धरती पर आई थीं और शिवजी की जटाओं में समा गई थीं। मान्यता है कि गंगा सप्तमी के दिन अपने घर में पूजापाठ करने वालों के घर में आर्थिक तंगी दूर होती है और सुख समृद्धि बढ़ती है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, गंगा सप्तमी 3 मई को मनाई जाएगी। इस दिन वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि सुबह 5 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी। यह तिथि अगले दिन, 4 मई को सुबह 5 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, गंगा सप्तमी का पर्व 3 मई को ही मनाया जाएगा।
गंगा जल को तांबे के पात्र में रखें और उसमें केसर तथा थोड़ा सा गुड़ डालें। इसे घर के उत्तर-पूर्व कोने में रखकर “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का 108 बार जप करें। इस उपाय को करने से धन समृद्धि में वृद्धि होती है। गंगा जल में काले तिल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जप करें। इस उपाय को करने से आपको कर्ज से मुक्ति मिलती है। गंगा जल में कपूर मिलाकर पूरे घर में छिड़काव करें। मुख्य द्वार पर गंगाजल से सात बार घड़ी की उल्टी दिशा में घूमें। इस उपाय को करने से घर से नकारात्मक शक्तियां नष्ट होती हैं और बुरी नजर से रक्षा होती है। गंगा तट पर पितरों के नाम से तर्पण करें और सादा अन्न, तिल और वस्त्र किसी ब्राह्मण को दान करें। इस उपाय को करने से घर में सुख शांति बढ़ती है और परिवार में कलह समाप्त होती है।