नई दिल्ली: अमेरिका और दुनिया के अन्य हिस्सों में नागरिकता (संशोधन) कानून (CAA) को लेकर जारी आलोचना के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि इसे 1947 में हुए देश के विभाजन के संदर्भ में देखना अहम है। उन्होंने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं, जब कई देशों ने नागरिकता देने की प्रक्रिया में तेजी लाई है। जयशंकर ने एक कार्यक्रम के दौरान ये बातें कहीं। अमेरिका ने गुरुवार को कहा कि वह भारत में सीएए की अधिसूचना को लेकर चिंतित है और इसके लागू करने पर करीब से नजर रख रहा है।
जयशंकर ने सीएए को लेकर कहा, ‘देखिए, मैं उनके लोकतंत्र की खामियों या अन्य चीजों या उनके सिद्धांतों या इसके अभाव पर सवाल नहीं उठा रहा। मैं हमारे इतिहास के बारे में उनकी समझ पर सवाल उठा रहा हूं। जब आप दुनिया के कई हिस्सों की टिप्पणियां सुनते हैं तो ऐसा लगता है कि मानो भारत का विभाजन कभी हुआ ही नहीं और इसके परिणामस्वरूप ऐसी कोई समस्या थी ही नहीं, जिसका समाधान सीएए को करना चाहिए।’
विदेश मंत्री ने अमेरिकी धरती पर अलगाववादी की हत्या की साजिश रचने के आरोप का सामना कर रहे भारतीय नागरिक के मामले पर जयशंकर बताया कि भारत इससे कैसे निपट रहा है। जयशंकर ने कहा, ‘अमेरिका ने हमारे साथ कुछ जानकारी साझा की है। कुछ जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है और कुछ नहीं है। हमारी रुचि भी इस पर गौर करने में है क्योंकि हमें इसमें संगठित अपराध का पहलू नजर आता है जो हमारी अपनी सुरक्षा पर भी असर डालता है।’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए, जब हमें इस जानकारी से अवगत कराया गया तो हमने इस पर गौर करने के लिए सक्षम लोगों की एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित करने का फैसला किया।’
जयशंकर ने यह भी कहा कि अमेरिका और कनाडा के आरोपों की तुलना नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘आप भारत और कनाडा का निर्बाध रूप से जिक्र करते रहे हैं। मैं कई कारणों से यहां एक रेखा खींचूंगा। सबसे अहम बात यह है कि अमेरिकी राजनीति ने हिंसक चरमपंथी विचारों और गतिविधियों को उस तरह की जगह नहीं दी है जो कनाडा ने दी है, इसलिए मुझे नहीं लगता कि इन्हें एक साथ रखना अमेरिका के साथ उचित है। मैं दोनों के बीच अंतर करूंगा।’