थरूर की अध्यक्षता में विदेश मामलों की बैठक होगी आज

नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ के बाद से जहां दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनातनी है, वहीं भारत के अंदर भी विदेश नीति को लेकर आत्ममंथन का दौर चल रहा है। इस बीच, आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति के समक्ष दो मंत्रालयों के अफसर आज पेश होंगे और मौजूदा हालात पर विदेश नीति के बारे में स्थिति स्पष्ट करेंगे।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, शशि थरूर की अध्यक्षता वाली स्टैंडिंग कमेटी के समक्ष सोमवार को विदेश मंत्रालय और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के प्रतिनिधियों द्वारा भारत की विदेश नीति के घटनाक्रमों के बारे में जानकारी दी जाएगी, जिसमें अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता और शुल्कों का विशेष संदर्भ भी शामिल होगा। सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि शशि थरूर की अध्यक्षता में विदेश मामलों की संसदीय समिति की बैठक संसद भावन में होने जा रही है, जिसमें भारत की विदेश नीति के नवीनतम घटनाक्रमों के बारे में कमेटी को जानकारी दी जाएगी।

विदेश मंत्रालय ने बैठक से पहले संसदीय समिति को बताया है कि अमेरिका द्वारा भारत पर द्वितीयक प्रतिबंध लगाने के फैसले ने उसे एक ऐसे भू-राजनीतिक संघर्ष में धकेल दिया है। दोनों देशों के बीच विश्वास और रिश्तों में आई गिरावट के बावजूद, मंत्रालय ने कहा कि भारत अमेरिका के साथ रचनात्मक संबंधों को बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है।

बता दें कि अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद थरूर ने पिछले दिनों कहा था कि भारत को भी अपने हितों की रक्षा करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “जो हो रहा है वह चिंताजनक है। एक ऐसा देश जिसके साथ हमारे घनिष्ठ संबंध थे और हम रणनीतिक साझेदार के रूप में काम कर रहे थे। अगर उस देश ने अपना व्यवहार बदला है, तो भारत को कई चीज़ों पर विचार करना होगा… शायद आने वाले दो-तीन हफ़्तों में हम बातचीत करके कोई रास्ता निकाल सकें। भारत को भी अपने हितों का ध्यान रखना होगा।”

थरूर ने कहा कि पिछले छह महीने में ट्रंप की शुल्क नीतियों के असर ने पूरी दुनिया को पीछे धकेल दिया है और भारत को भी झटका लगा है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें उबरना होगा क्योंकि अमेरिका के साथ संबंध हमारे लिए इतने महत्वपूर्ण हैं कि हम इन्हें आगे बढ़ाने के लिए वास्तविक प्रयास करना चाहते हैं। जब मैं अमेरिका के साथ संबंधों की बात कर रहा हूं तो मेरा मतलब केवल व्यापारिक संबंध से नहीं है, रणनीतिक साझेदारी से भी है। इसलिए मुझे लगता है कि अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सुरक्षा परिषद की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है।

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