जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में बृहस्पतिवार को हथियारों से लैस आतंकवादियों द्वारा सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर किए गए हमले में पांच सैनिक शहीद हो गए और दो अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि शहीद हुए दो सैनिकों के शव क्षत-विक्षत थे। पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की शाखा पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) ने घात लगाकर किए गए इस हमले की जिम्मेदारी ली है। जम्मू में रक्षा विभाग के जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल सुनील बर्तवाल ने बताया कि आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में ‘‘पुख्ता खुफिया जानकारी’’ के आधार पर पुंछ जिले के ढेरा की गली इलाके में बुधवार रात एक संयुक्त तलाशी अभियान चलाया गया। अधिकारियों ने बताया कि सैन्यकर्मियों को एक घेराबंदी और तलाशी अभियान स्थल पर ले जा रहे वाहनों पर सुरनकोट थाना के अंतर्गत आने वाले ढेरा की गली और बुफलियाज के बीच धत्यार मोड़ पर अपराह्न करीब पौने चार बजे हमला किया गया। जम्मू-कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों – गुलाम नबी आजाद और महबूबा मुफ्ती ने हमले की कड़ी निंदा की है।
सुरक्षाकर्मियों ने 22 दिसंबर की सुबह राजौरी जिले के डेरा की गली के वन क्षेत्र में तलाशी अभियान चलाया, जहां भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर हमला किया था। 21 दिसंबर की शाम को हुए आतंकी हमले में सेना के पांच जवान शहीद हो गए थे जबकि दो अन्य घायल हो गए थे। आतंकवादियों ने राजौरी के थानामंडी में सैनिकों को ले जा रहे सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर हमला किया।” 21 दिसंबर को दोपहर करीब 3.45 बजे, सेना के दो वाहन सैनिकों को लेकर ऑपरेशनल साइट की ओर जा रहे थे, जिस पर आतंकवादी ने गोलीबारी की। सेना के एक अधिकारी ने कहा, ”हमारे सैनिकों ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की।” उन्होंने बताया कि आतंकवादियों के हमले के बाद सेना के जवानों ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की। सेना के अधिकारियों ने कहा, “सैनिक कल शाम से इलाके में आतंकवादियों के खिलाफ चल रहे संयुक्त अभियान को मजबूत करने जा रहे थे। ऑपरेशन 48 राष्ट्रीय राइफल्स क्षेत्र में हो रहा है।”
सुरक्षाकर्मियों ने 22 दिसंबर की सुबह राजौरी जिले के डेरा की गली के वन क्षेत्र में तलाशी अभियान चलाया, जहां भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर हमला किया था। 21 दिसंबर की शाम को हुए आतंकी हमले में सेना के पांच जवान शहीद हो गए थे जबकि दो अन्य घायल हो गए थे। आतंकवादियों ने राजौरी के थानामंडी में सैनिकों को ले जा रहे सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर हमला किया।” 21 दिसंबर को दोपहर करीब 3.45 बजे, सेना के दो वाहन सैनिकों को लेकर ऑपरेशनल साइट की ओर जा रहे थे, जिस पर आतंकवादी ने गोलीबारी की। सेना के एक अधिकारी ने कहा, ”हमारे सैनिकों ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की।” उन्होंने बताया कि आतंकवादियों के हमले के बाद सेना के जवानों ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की। सेना के अधिकारियों ने कहा, “सैनिक कल शाम से इलाके में आतंकवादियों के खिलाफ चल रहे संयुक्त अभियान को मजबूत करने जा रहे थे। ऑपरेशन 48 राष्ट्रीय राइफल्स क्षेत्र में हो रहा है।”
जानकारी के अनुसार दो महीने से आतंकी रेकी कर रहे थे और जानकारी ले रहे थे कि आखिर कैसे हमले को अंजाम दिया जाए। पुंछ के इस इलाके में जब गाड़िया चलती है तब इस मोड़ पर आकर थोड़ा धीरे हो जाती हैं क्योंकि इस मोड़ पर सड़क थोड़ी खराब है ऐसे में सभी वाहनों की गति कम हो जाती हैं। जंगल भी यहां काफी घने हैं ऐसे में जब सैनिकों को काफिला निकला तब आतंकियों ने गाड़ी की गति कम होने का इंतजार किया और हमला कर दिया। जम्मू में रक्षा विभाग के जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल सुनील बर्तवाल ने बताया कि आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में ‘‘पुख्ता खुफिया जानकारी’’ के आधार पर पुंछ जिले के ढेरा की गली इलाके में बुधवार रात एक संयुक्त तलाशी अभियान चलाया गया। अधिकारियों ने बताया कि ये जवान घटनास्थल की ओर बढ़ रहे थे, तभी आतंकवादियों ने दो वाहनों – एक ट्रक और एक जिप्सी – पर गोलीबारी कर दी। रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि बलों ने हमले का त्वरित जवाब दिया। अधिकारियों ने बताया कि इस जारी अभियान में पांच सैनिक शहीद हो गए और दो अन्य घायल हो गए। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
घटनास्थल की व्यथित करने वाली तस्वीरों और वीडियो में सड़क पर पड़ा खून, सैनिकों के टूटे हुए हेलमेट और सेना के दो वाहनों के टूटे हुए शीशे दिखाई दे रहे हैं। अधिकारियों ने भीषण टकराव के दौरान सैनिकों और आतंकवादियों के बीच आमने-सामने की लड़ाई होने की संभावना से इनकार नहीं किया। अधिकारियों ने कहा कि ऐसी संभावना है कि जिन सैनिकों पर हमला किया गया, आतंकवादी उनके हथियार लेकर चले गए हैं। अभियान जारी रहने के दौरान अधिकारी अधिक जानकारी इकट्ठा करने और क्षेत्र में आतंकवादियों द्वारा उत्पन्न खतरे को समाप्त करने की पुरजोर कोशिश में जुटे हैं। इस हमले से कुछ ही सप्ताह पहले पास के राजौरी जिले में बाजीमाल वन क्षेत्र के धर्मसाल बेल्ट में गोलीबारी के दौरान दो कैप्टन सहित पांच सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। राजौरी जिले में सुरक्षा बलों के साथ नवंबर में इस मुठभेड़ में अफगानिस्तान में प्रशिक्षित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के शीर्ष कमांडर क्वारी समेत दो आतंकवादी मारे गये थे।
राजौरी और पुंछ जिलों की सीमा पर स्थित ढेरा की गली और बुफलियाज के बीच का इलाका घने जंगलों वाला है और यह चमरेर जंगल और फिर भाटा धुरियन जंगल की ओर जाता है, जहां इस साल 20 अप्रैल को सेना के एक वाहन पर घात लगाकर किए गए हमले में पांच सैनिक शहीद हो गए थे। इसके बाद मई में आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान चमरेर जंगल में सेना के पांच और जवान शहीद हो गए थे और मेजर रैंक का एक अधिकारी घायल हो गया था। इस अभियान में एक विदेशी आतंकवादी भी मारा गया था। राजौरी, पुंछ और रियासी जिलों में इस साल मुठभेड़ों में अब तक 19 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं और 28 आतंकवादी मारे गए हैं। इन मुठभेड़ों में कुल 54 लोग मारे गए हैं। इससे पहले अक्टूबर 2021 में वन क्षेत्र में आतंकवादियों के दो अलग-अलग हमलों में नौ सैनिक शहीद हो गए थे। चमरेर में 11 अक्टूबर को एक जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) सहित पांच सैन्यकर्मी शहीद हुए थे, जबकि 14 अक्टूबर को एक निकटवर्ती जंगल में एक जेसीओ और तीन सैनिकों ने जान गंवाई थी। रिपोर्ट के अनुसार ये भी जानकारी है पिछले जितने हमले कश्मीर के पुंछ और रजौरी में हुए हैं इसमें वहां के लोकल लोगों ने भी आतंकियों की मदद की है।