
नई दिल्ली। दिल्ली से सटे फरीदाबाद के बीके अस्पताल स्थित हार्ट सेंटर में एमबीबीएस डॉ. पंकज मोहन ने अपने हमनाम डॉक्टर का नाम इस्तेमाल कर हृदय रोग विशेषज्ञ (कार्डियोलॉजिस्ट) की नौकरी पा ली। इतना ही नहीं उन्होंने 55 लोगों की एंजियो प्लास्टी और एंजियोग्राफी भी कर डाली। यह सब बीके अस्पताल के हार्टसेंटर में हुआ।
बता दें कि हरियाणा सरकार से अनुबंध के तहत मेडिट्रीना हॉस्पिटल्स प्राइवेट लिमिटेड, प्रधान चिकित्सा अधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय को किसी भी डॉक्टर की नियुक्ति से पहले वेरिफिकेशन करनी होती है, लेकिन एमबीबीएस डॉक्टर पंकज मोहन शर्मा की नियुक्ति के दौरान वेरिफिकेशन नहीं करने का आरोप है।
आरोप यह भी है कि डॉ. पंकज द्वारा किए गए इलाज के कारण हार्ट सेंटर में इलाज कराने आए तीन मरीजों की मौत हो गई थी। इस संबंध में एडवोकेट संजय गुप्ता ने बीते अप्रैल में थाना एसजीएम नगर को शिकायत भी दी थी। उस शिकायत पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अब उन्होंने सीएम विंडो और गृह मंत्रालय को शिकायत दी है।
चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. जयंत आहूजा ने बताया कि एसीबी इस मामले की जांच कर रही है। इसके चलते कार्रवाई करना उचित नहीं।
वर्ष 2018 में शुरू हुआ था हार्ट सेंटर : वर्ष 2018 में बीके अस्पताल में पीपीपी मोड पर मेडिट्रीना हॉस्पिटल्स प्राइवेट लिमिटेड को हार्ट सेंटर चलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वहीं, डॉ. पंकज मोहन शर्मा नियुक्ति जुलाई-2024 में हुई थी और फरवरी-2025 तक हार्ट सेंटर में नौकरी की। हार्ट सेंटर प्रबंधन पर आरोप है कि डॉ. पंकज मोहन के नाम पर बीपीएल, आरक्षित श्रेणी और आयुष्मान योजना के तहत बिल लगाकर प्रदेश सरकार के साथ भी धोखाधड़ी की है।
एडवोकेट संजय गुप्ता ने बताया कि किसी मरीज का इलाज बीके अस्पताल के हार्ट सेंटर में डॉ. पंकज मोहन शर्मा के पास चल रहा था। 22 नवंबर को पंकज मोहन छुट्टी पर था। सेंटर के कर्मचारी ने बताया था कि वे गांधी कॉलोनी में क्लीनिक चलाते हैं। मरीज जब असली डॉ. पंकज मोहन से मिला तो यह राज उजागर हुआ।
डॉ. एन प्रताप, मुख्य प्रबंध निदेशक, मेडिट्रीना अस्पताल, ”बीके में चल रहे हार्ट सेंटर को बंद कर दिया है। नियुक्ति के बाद डॉक्टर के वेरिफिकेशन का काम एचआर विभाग का होता है। उन्होंने वेरिफिकेशन नहीं किया। पता चलने पर डॉक्टर को हटा दिया गया।