परिवार प्रथम या राष्ट्र प्रथम,चुनावी मुद्दा

पटना। इंडी एलायंस बनने के नौ महीने बाद उसी पटना में पहली रैली हुई, जहां एलायंस की पहली बैठक हुई थी| फर्क सिर्फ इतना रहा है कि एलायंस की पहली बैठक बुलाने वाले नीतीश कुमार रैली में निशाने पर थे, क्योंकि वह एनडीए में वापस लौट चुके हैं| रैली में इंडी एलायंस के 31 में से सिर्फ चार दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया, जिससे इंडी एलायंस की एकता का मेसेज नहीं जा सका क्योंकि एलायंस में शामिल दलों के मुख्यमंत्रियों अरविन्द केजरीवाल, ममता बनर्जी, स्टालिन, पिनयारी विजयन और चंपई सोरेन में से कोई भी शामिल नहीं हुआ, यहाँ तक कि कांग्रेस के तीन मुख्यमंत्रियों में से भी कोई नहीं पहुंचा|

इसलिए रैली सिर्फ आरजेडी और कम्युनिस्ट पार्टियों का जमावड़ा बन कर रह गई, जिसमें कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, सीपीएम के सीताराम येचुरी और सीपीआई के डी. राजा शामिल हुए|लालू यादव बड़ी बड़ी रैलियाँ करने के लिए मशहूर रहे हैं, लेकिन तेजस्वी यादव की यह रैली उन रैलियों के मुकाबले की नहीं थी| भाषण तो सबके हुए, लेकिन अपने पुराने स्टाईल से भाषण देकर सारी वाहवाही लालू यादव ने लूट ली, जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत हमले करके उनके हिन्दू होने पर ही सवाल उठा दिया|

लालू यादव ने एक तो यह कहा कि जब मोदी की मां का देहांत हुआ तो उन्होंने दाढी नहीं कटवाई, और सिर नहीं मुंडवाया| दूसरा उन्होंने कहा कि उनकी मां के देहांत के बाद उनका परिवार ही नहीं है| पता नहीं इन दोनों ही बातों का राजनीति से क्या संबंध है| न उनकी इस बात का चुनाव पर कोई असर होगा, क्योंकि जातिवाद की राजनीति करके हिन्दुओं को अगड़ों पिछड़ों में विभाजित करने वाले लालू यादव के कहने पर हिन्दू प्रभावित नहीं होने वाले| लालू यादव खुद कितने समर्पित हिन्दू हैं, यह भी सब जानते हैं। उन्हीं की पार्टी के शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर जब आए दिन रामचरित मानस पर सवाल उठा रहे थे, तो वह चुप्पी साध कर बैठे थे| इसके अलावा लालू यादव ने मोदी का परिवार नहीं होने की बात कह कर सेल्फ गोल कर लिया, क्योंकि नरेंद्र मोदी तो पिछले एक दशक से परिवारवाद की राजनीति पर ही हमला बोल रहे हैं| वह तो शुरू से ही कहते रहे हैं कि उन्हें कोई मोह नहीं है, वह तो झोला उठाएंगे और चले जाएंगे| यह एक आम धारणा है कि नरेंद्र मोदी के आगे पीछे कोई नहीं है, जिसके लिए वह भ्रष्टाचार करके अपनी तिजोरियां भरें|

मोदी ने तेलंगाना में अपने भाषण में कहा भी कि जिसका परिवार होता है, क्या उसे भ्रष्टाचार का लाइसेंस मिल जाता है| लालू यादव का यह कहना कि नरेंद्र मोदी ने अपनी मां के देहांत के बाद सिर नहीं मुंडवाया, इसलिए वह हिन्दू नहीं हैं, यह बहुत ही गलत किस्म की टिप्पणी है, जिसे कोई भी हिन्दू पसंद नहीं करेगा| मुंडन को लेकर हर जगह अलग अलग परंपरा है, परिवार में किसी की मौत पर कहीं कही घर के सभी पुरुष बाल कटवाते हैं, तो कहीं कहीं परिवार का एक ही सदस्य सिर मुंडवाता है| वैसे भी नरेंद्र मोदी सन्यास की दहलीज से वापस लौटे हैं| जब से वह सन्यास की दहलीज से वापस लौटे हैं, तबसे समाज क्षेत्र में ही लगे हुए हैं| प्रधानमंत्री बनने के बाद सारे देश वासियों को अपना परिवार मानते रहे हैं| उनकी परिवार की परिभाषा को देश लालू यादव से बेहतर जानता है|

मोदी हर साल सीमा पर देश की रक्षा कर रहे जवानों के साथ दिवाली मना कर बताते हैं कि उनका परिवार कौन है| लालू यादव की ये दोनों ही अराजनैतिक बातें क्या मोदी के प्रधानमंत्री बनने के रास्ते में कोई संवैधानिक अड़चन पैदा करती हैं| मंच पर बैठे कम्युनिस्ट और अन्य विपक्षी नेता लालू की इस बात पर खिलखिला कर हंसे, कुछ ने तालियाँ भी बजाई| जिससे स्पष्ट होता है कि इंडी एलायंस में चुनाव को लेकर कोई गंभीरता नहीं है| याद कीजिए पिछले चुनाव में जब राहुल गांधी चौकीदार चोर का नारा लगवा रहे थे, तब सारे देश में क्या मुहिम चली थी| करोड़ो लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा था, मैं भी चौकीदार| ठीक उसी तरह अब सोशल मीडिया पर हर कोई मोदी को अपने परिवार का हिस्सा बता रहा है|

इस मुहिम ने विपक्ष के नेताओं को नई मुश्किल में डाल दिया है| उन्हें समझ नही आ रहा कि इस मुहिम का कैसे जवाब दें| अखिलेश यादव ने सारे देश में चल रही मुहिम का मजाक उड़ाते हुए कह दिया कि ऐसा लगता है, जैसे मेले में बिछड़ा परिवार मिल गया| जयराम रमेश की प्रतिक्रिया से साफ़ जाहिर हुआ कि कांग्रेस देश में मोदी के परिवार को लेकर चली मुहिम से हताश है| विपक्ष हर चुनाव से पहले कोई न कोई ऐसी गलती करता है कि चुनाव उसके हाथ से निकल जाता है| पांच राज्यों की विधानसभाओं के चुनावों के दौरान जब कांग्रेस मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जीतती दिखाई दे रही थी, तब राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी को पनौती कह दिया था| क्योंकि भारतीय टीम क्रिकेट का फाईनल मैच हार गई थी, और मोदी मैच देख रहे थे, इसलिए राहुल गांधी ने चुनावी रैली में मोदी को पनौती कह दिया था| इसका उल्टा असर हुआ और कांग्रेस के हाथ से ये तीनों राज्य निकल गए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने हाथ लगे परिवार के मुद्दे को छोड़ने के मूड में नहीं हैं| इस मुद्दे को वह चुनाव का बेहतरीन मुद्दा मान रहे हैं, इसलिए पिछले तीन दिन से उन्होंने तमिलनाडू, तेलंगाना और उड़ीसा में अपनी चुनावी रैलियों के दौरान लालू यादव की टिप्पणी को बेहतरीन ढंग से भुनाया है| वैसे तो इन तीनों ही गैर भाजपा राज्यों में मोदी की रैलियों में रिकार्ड तोड़ उत्साह देखने को मिला, लेकिन उड़ीसा की रैली में अब तक की सभी रैलियों से ज्यादा उत्साह देखने को मिला| संयोग से इन तीनों ही राज्यों में परिवारवादी पार्टियों की सरकारें हैं, लेकिन उड़ीसा में क्योंकि मोदी और भाजपा की मित्रवत पार्टी की सरकार है, इसलिए वहां मोदी ने कांग्रेस को ही निशाने पर लिया| इन तीनों ही राज्यों में मोदी ने लालू यादव के परिवार के मुद्दे को परिवारवाद और राष्ट्रवाद की तरफ मोड़ दिया है। वह अपनी रैलियों में खुल कर कह रहे हैं कि जिनके लिए परिवार फर्स्ट है, वे परिवार और भ्रष्टाचार की बात करते हैं, लेकिन जिनके लिए राष्ट्र फर्स्ट है, वे राष्ट्र की बात करते हैं|

एक तरफ लालू यादव के भाषण की एक बात ने मोदी के परिवारवाद और भ्रष्टाचार के मुद्दे को मजबूती प्रदान कर दी है| तो दूसरी तरफ ठीक उसी समय तमिलनाडू की द्रमुक पार्टी के प्रमुख नेता ए. राजा ने भारत को राष्ट्र मानने से इंकार करके मोदी को राष्ट्र फर्स्ट का मुद्दा थमा दिया है| मोदी के तमिलनाडू दौरे से तुरंत बाद ए. राजा ने कहा कि राष्ट्र का मतलब होता है, एकरूपता, एक संस्कृति, एक भाषा, एक वेशभूषा आदि। ए. राजा ने कहा कि तमिल अलग राष्ट्र है, केरल अलग राष्ट्र है, आंध्र अलग राष्ट्र है| ए. राजा ने भारत माता और जय श्रीराम पर घोर आपत्तिजनक टिप्पणियां करके मोदी और भाजपा के हिंदुत्व और राष्ट्र फर्स्ट के मुद्दे को और मजबूत कर दिया है|

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