लोकसभा चुनावों में भाजपा को महाराष्ट्र में भी करारा झटका लगा है। महाराष्ट्र में भाजपा ने शिवसेना और एनसीपी के साथ सरकार बनाने का जो प्रयोग किया था लगता है वह विफल रहा है। महाराष्ट्र में इसी साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव भी होने हैं इसीलिए भाजपा-शिवसेना-एनसीपी की महायुति के माथे पर चिंता की लकीरें देखी जा सकती हैं। महाराष्ट्र में जिस तरह से कांग्रेस का उभार हुआ, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने शानदार प्रदर्शन किया तथा शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी जोरदार नतीजे लेकर आई है उसको लेकर राज्य में सत्तारुढ़ गठबंधन के बीच बैठकों का दौर शुरू हो गया है।
भाजपा ने आज मुंबई स्थित प्रदेश मुख्यालय पर आज वरिष्ठ नेताओं के साथ एक समीक्षा बैठक की। इस बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “मैं महाराष्ट्र में ऐसे नतीजों की जिम्मेदारी लेता हूं। मैं पार्टी का नेतृत्व कर रहा था। मैं भाजपा आलाकमान से अनुरोध करता हूं कि मुझे सरकार की जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए ताकि मैं आगामी चुनावों में पार्टी के लिए कड़ी मेहनत कर सकूं।”
वहीं दूसरी ओर, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा उन्हें राज्य सरकार से मुक्त करने के प्रस्ताव पर कहा, “चुनावी हार सामूहिक जिम्मेदारी है। तीनों पार्टियों ने चुनाव में मिलकर काम किया था।” उन्होंने कहा कि वोट शेयर देखें तो मुंबई में महायुति को दो लाख से ज्यादा वोट मिले। हार के कारणों की ईमानदारी से समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों में सरकार ने राज्य में कई अच्छे फैसले लिए हैं। मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि मैं जल्द ही देवेंद्र जी से बात करूंगा। हमने पहले भी साथ मिलकर काम किया है और आगे भी करते रहेंगे। हम विपक्ष के झूठे दावों का मुकाबला करने में सामूहिक रूप से विफल रहे हैं।