यूरोप ने भारत के साथ रक्षा साझेदारी की जताई संभावना

नई दिल्ली।  डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका से गहराते मतभेद के बीच यूरोप भारत के साथ मजबूत दोस्ती की पींगे बढ़ाने को आतुर दिख रहा है। आपसी संबंधों को इक्कीसवीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण साझेदारियों में से एक बनने की क्षमता वाला करार दिया है। यूरोपियन कमीशन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन भारत आईं हैं। उन्होंने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए यूरोपियन यूनियन (EU) का समर्थन देने का वादा किया है। साथ ही, उन्होंने एक बड़ी घोषणा भी की। उन्होंने कहा कि 27 देशों वाला EU समूह भारत के साथ सुरक्षा और रक्षा साझेदारी की संभावना तलाशेगा। जैसे जापान और दक्षिण कोरिया के साथ EU की साझेदारी है, वैसी ही साझेदारी भारत के साथ भी होगी।

वॉन डेर लेयन ने व्यापार, तकनीक और कनेक्टिविटी को भारत-EU संबंधों को अगले स्तर पर ले जाने वाले क्षेत्रों के रूप में पहचाना। उन्होंने कहा कि यह रिश्ता इस सदी की सबसे महत्वपूर्ण साझेदारियों में से एक बन सकता है। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प या उनके सहयोगियों के साथ व्यवहार के बारे में सीधे तौर पर बात नहीं की। लेकिन उन्होंने कहा कि प्रभाव क्षेत्रों और अलगाववाद वाली दुनिया से भारत और EU दोनों को नुकसान होगा। सहयोग और साथ मिलकर काम करने वाली दुनिया से दोनों को फायदा होगा।

उन्होंने कहा, ‘क्योंकि हम एक-दूसरे को विशिष्ट विकल्प और उपकरण दे सकते हैं ताकि आज की दुनिया में हम खुद को मजबूत, अधिक सुरक्षित और अधिक संप्रभु बना सकें। ऐसा प्रस्ताव जो वास्तव में दूसरों द्वारा दोहराया नहीं जा सकता है।’

भारत के साथ एक नई सुरक्षा और रक्षा साझेदारी पर वॉन डेर लेयन ने कहा कि इससे दोनों पक्षों को साझा खतरों का मुकाबला करने में मदद मिलेगी। चाहे वो सीमा पार आतंकवाद हो, समुद्री सुरक्षा खतरे हों, साइबर हमले हों या नई घटना: महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर हमले।

लेयन ने कहा, ‘ऐसा बहुत कुछ है जिस पर हम निर्माण कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, समुद्री सुरक्षा पर हालिया सहयोग। और मुझे EU के स्थायी सहयोग के तहत रक्षा औद्योगिक परियोजनाओं में शामिल होने में भारत की रुचि को देखकर खुशी हो रही है। भारत अपनी सैन्य आपूर्ति में विविधता लाने और नई क्षमताओं तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। और मेरा मानना है कि हम एक-दूसरे को अपने सुरक्षा उद्देश्यों को पूरा करने में मदद कर सकते हैं।’

EU और भारत दोनों जिन भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, उनके बारे में बात करते हुए वॉन डेर लेयन ने कहा कि दुनिया एक और मोड़ पर पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि यह भारत-EU सहयोग पर सीमाएं लगाने का समय नहीं है। उन्होंने कहा, ‘या क्षेत्रीय या वैश्विक चिंता के हर मुद्दे पर समझौता तलाशने में फंसने का समय नहीं है। यह व्यावहारिक और महत्वाकांक्षी होने का समय है। और आज की वास्तविकताओं के लिए अपनी प्राथमिकताओं को फिर से व्यवस्थित करने का समय है।’

इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर (IMEEC) को एक संभावित आधुनिक स्वर्णिम मार्ग बताते हुए वॉन डेर लेयन ने कहा कि यह भारत और यूरोप के बीच व्यापार को 40% तेज कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘यह महाद्वीपों और सभ्यताओं के बीच एक हरित और डिजिटल पुल है। यह यूरोप, भारत और हमारे सहयोगियों के लिए एक विन-विन सिचुएशन हो सकता है। हम ठोस परियोजनाओं में निवेश करने के लिए तैयार हैं जो इन कनेक्शनों को पहले से ही शुरू कर सकती हैं।’

उन्होंने आगे कहा, ‘मेक इन इंडिया और ‘मेड इन यूरोप’ हमारे उद्योगों को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं। और हमारी अर्थव्यवस्थाओं को जोखिम से मुक्त करने में हमारी साझा रुचि, विशेष रूप से संवेदनशील तकनीकी क्षेत्रों में हमारी आर्थिक सुरक्षा को आगे बढ़ाने में मदद कर सकती है।’

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