पटना। चिराग पासवान का यह बयान बिहार की राजनीति में उनके भविष्य के इरादों को स्पष्ट करता है। 2030 में विधानसभा चुनावों में अपनी उम्मीदवारी की बात करके उन्होंने यह संकेत दिया कि वे राज्य के विकास में और सक्रिय रूप से योगदान देना चाहते हैं। उनकी योजना यह है कि बिहार की जनता को बेहतर सरकारी योजनाएं, अवसर, और समग्र विकास मिल सके, जिसके लिए वे राजनीति में सक्रिय हैं।
2020 के विधानसभा चुनावों में उनका “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” नारा बिहार के विकास को प्राथमिकता देने का संदेश था, और इस बार भी वह इसी नारे के तहत राज्य के लिए काम करने के उद्देश्य से राजनीति में आए हैं। उनका फोकस राज्य के आर्थिक और सामाजिक मुद्दों को हल करने पर है, और इस बयान से यह भी साफ होता है कि वे अपनी पार्टी और नेतृत्व को मजबूत करना चाहते हैं ताकि बिहार की बेहतरी के लिए ठोस कदम उठाए जा सकें।
चिराग पासवान ने कहा कि मैं खुद को 2030 में बिहार विधानसभा के सदस्य के रूप में देखना चाहता हूं। मैं खुद को राज्य की राजनीति से अधिक परिचित देखता हूं। राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि पासवान ने 2025 का विधानसभा चुनाव लड़ने से परहेज किया है क्योंकि एनडीए, जिसमें उनकी पार्टी एक भागीदार है, पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है।
चिराग पासवान 2030 में राज्य की राजनीति में अपनी जगह तलाशेंगे। आने वाले वर्षों में उनकी राजनीतिक योजनाओं और उनकी पार्टी की दिशा को लेकर यह बयान महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि चिराग पासवान के लिए राज्य में अपने प्रभाव को बढ़ाने और केंद्रीय राजनीति में भी अपनी पहचान बनाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।