
लखनऊ। लखनऊ में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों ने सांकेतिक हड़ताल की। हालांकि इस हड़ताल का प्रदेश की बिजली व्यवस्था पर कोई असर नहीं दिखा। बिजली आपूर्ति और फॉल्ट अटेंड करने की व्यवस्था पूरी तरह से सामान्य रही। उपभोक्ता सेवाओं में किसी तरह की दिक्कतें नहीं आईं। नैशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लॉइज ऐंड इंजिनियर्स द्वारा पूरे देश में की गई इस सांकेतिक हड़ताल में प्रदेश के लगभग एक लाख कर्मचारियों ने हिस्सा लिया।
इसके अलावा अन्य विभागों के कर्मचारी भी इस सांकेतिक हड़ताल में शामिल रहे। लखनऊ में शक्ति भवन के बाहर बिजली कर्मचारियों ने विरोध सभा का आयोजन किया। इसके अलावा प्रदेश के हर जिला मुख्यालय में बिजली कर्मियों ने निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन हुआ।
नैशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजिनियर्स ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि बिजली के निजीकरण का निर्णय वापस लिया जाए। केंद्रीय बिजली मंत्रालय इस मामले में पहल कर उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण का निर्णय निरस्त करवाना सुनिश्चित करें। प्रदर्शन कर रहे कर्मचारी नेताओं ने कहा कि यदि यूपी में दो विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण का निर्णय वापस न लिया गया और बिजली कर्मियों का उत्पीड़न करने की कोशिश की गई, तो देश के तमाम बिजली कर्मी देशव्यापी आंदोलन करेंगे।
बिजली कर्मियों के समर्थन में केंद्र व राज्य सरकार के कर्मचारी संगठन, उपभोक्ता संगठन और संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले बड़ी संख्या में किसान भी विभिन्न जिलों में प्रदर्शन में सम्मिलित हुए। किसान और उपभोक्ता संगठनों ने भी चेतावनी दी है कि यदि उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों का उत्पीड़न किया गया तो किसान और उपभोक्ता भी सड़कों पर उतरेंगे।