
लखनऊ। उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का गठन हो गया, लेकिन आयोग शिक्षकों की नई भर्तियां तो नहीं कर पाया। पहले शिक्षकों के जो प्रमोशन होते थे, वे भी बंद हो गए। यही वजह है कि एडेड इंटर कॉलेजों में प्रवक्ता के करीब 50 फीसदी और प्रधानाचार्य के 60 फीसदी पद खाली हैं। वजह यह है कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड भंग हो गया। उसमें प्रमोशन का जो प्रावधान था, वह नए बने शिक्षा सेवा चयन आयोग में किया ही नहीं गया। इससे शिक्षकों के बीच नाराजगी बढ़ रही है। प्रदेश स्तर पर आंदोलन की तैयारी की जा रही है।
पहले उच्च, प्राथमिक और माध्यमिक सहित शिक्षा के सभी विभागों में भर्ती के लिए अलग-अलग बोर्ड और आयोग थे। सरकार ने अब सभी के लिए एक शिक्षा सेवा चयन आयोग गठित कर दिया है। डेढ़ साल पहले अगस्त-2023 में शिक्षा सेवा चयन आयोग गठित कर दिया गया था। उसके बाद मार्च-2024 में 12 सदस्य नामित किए गए। अध्यक्ष की नियुक्ति अक्टूबर-2024 में हुई। हालांकि, आयोग के गठन से पहले ही पहले से चल रहे बोर्डों और आयोगों ने अपना काम बंद कर दिया था। ऐसे में दो साल से शिक्षा विभाग में कहीं भर्ती नहीं हुई है।
इंटर कॉलेजों में भर्ती के लिए माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड था। तब उसमें भर्ती करने के अलावा शिक्षकों की सेवा सुरक्षा और प्रमोशन के लिए भी प्रावधान था। चयन बोर्ड की धारा 12 के तहत प्रवक्ताओं के पद पर सहायक अध्यापकों का प्रमोशन होता था। संयुक्त शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता वाली कमिटी प्रमोशन करती थी। वहीं धारा-18 के तहत यह प्रावधान था कि प्रधानाचार्य के पद पर जब तक बोर्ड प्रमोशन नहीं करता तो वरिष्ठतम अध्यापक उसका काम संभालता था। वह एडहॉक प्रधानाचार्य यदि 60 दिन तक संभालता है तो उसे ही तब तक प्रधानाचार्य का वेतनमान दिया जाएगा, जब तक कि स्थायी प्रधानाचार्य नहीं आ जाता। धारा-21 में सेवा सुरक्षा का प्रावधान था। इसके तहत आयोग की अनुमति के बाद ही शिक्षक पर कोई कार्रवाई हो सकती थी।
प्रदेश में कुल लगभग 4500 एडेड इंटर कॉलेज हैं। इनमें शिक्षकों के करीब 90,000 पद सृजित हैं। इनमें प्रधानाचार्य के 4500, प्रवक्ता के 25,000 और सहायक अध्यापक के लगभग 60,000 पद हैं। इनमें प्रधानाचार्य के 60 फीसदी, प्रवक्ता के 50 फीसदी और सहायक अध्यापक के 40 फीसदी से अधिक पद खाली हैं।
शिक्षक लगातार मांग कर रहे हैं कि नए बने आयोग में प्रमोशन और सेवा सुरक्षा सम्बधी प्रावधान किए जाएं। हाल ही में विधान परिषद में भी सभी दलों के सदस्यों ने यह मांग उठाई थी। इस पर सेवा सुरक्षा का प्रावधान जोड़ने का आश्वासन दिया गया है। माध्यमिक शिक्षक संघ शर्मा गुट के एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी और प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. आरपी मिश्र का कहना है कि सेवा सुरक्षा और प्रमोशन से जुड़े तीनों प्रावधान नए आयोग में जोड़े जाएं। संगठन इसको लेकर आंदोलन भी कर रहा है।
अब ये तीनों धाराएं समाप्त हो गई हैं। अब इंटरमीडिएट अधिनियम-1921 के तहत सभी अधिकार प्रबंध तंत्र को मिल गए हैं। इस वजह से कई जगह शिक्षकों को निकालने की कार्रवाई प्रबंधक कर रहे हैं। वहीं, प्रमोशन की प्रक्रिया उन्होंने बंद कर दी है। दो साल से सहायक अध्यापक से प्रवक्ता के पद पर कोई प्रमोशन नहीं हुआ। इसी तरह प्रधानाचार्य के पद पर एडहॉक प्रमोशन नहीं हो रहे।
प्रधानाचार्य का काम तो उनसे लिया जा रहा है, लेकिन वेतनमान नहीं दिया जा रहा। प्रधानाचार्य के पद पर बोर्ड ने भी 2012 के बाद से कोई प्रमोशन नहीं किए थे और अब आयोग बन जाने के बाद से एडहॉक प्रमोशन भी बंद हैं। यही वजह है कि प्रवक्ता और प्रधानाचार्य के पद खाली हैं।