प्रवर्तन निदेशालय ने 5 जुलाई को कहा कि उसने कुछ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों के विस्तार में कथित भ्रष्टाचार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले के तहत तलाशी लेते हुए 41 लाख रुपये नकद, ‘आपत्तिजनक’ दस्तावेज और डिजिटल उपकरण जब्त किए। जांच एजेंसी ने एक बयान में कहा कि छापेमारी 3 जुलाई को दिल्ली, अहमदाबाद, मुंबई और हैदराबाद में कई जगहों पर की गई। मनी लॉन्ड्रिंग की जांच यूरोटेक एनवायर्नमेंटल प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी और अन्य के खिलाफ दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) की एफआईआर से आगे बढ़ रही है, जिसमें 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के विस्तार और उन्नयन के नाम पर डीजेबी में घोटाले का आरोप लगाया गया है।
ईडी के अनुसार, एसीबी द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि केवल तीन जेवी कंपनियों ने चार निविदाओं में भाग लिया। ईडी ने कहा, “जबकि दो जेवी को एक-एक टेंडर मिला, एक जेवी को दो टेंडर मिले। तीनों जेवी ने चार एसटीपी टेंडरों में पारस्परिक रूप से भाग लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक को टेंडर मिले। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि निविदा की शर्तों को आईएफएएस प्रौद्योगिकी को अपनाने सहित “प्रतिबंधात्मक” बना दिया गया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कुछ चुनिंदा संस्थाएं चार बोलियों में भाग ले सकें।
एजेंसी ने कहा कि शुरुआत में तैयार किया गया लागत अनुमान 1,546 करोड़ रुपये था, लेकिन निविदा प्रक्रिया के दौरान इसे संशोधित कर 1,943 करोड़ रुपये कर दिया गया। यह भी आरोप लगाया गया है कि तीन जेवी को बढ़ी हुई दरों पर ठेके दिए गए, जिससे सरकारी खजाने को काफी नुकसान हुआ।ईडी ने कहा कि उसकी जांच में पाया गया कि 1,943 करोड़ रुपये मूल्य के एसटीपी से संबंधित चार टेंडर डीजेबी द्वारा तीन जेवी को दिए गए थे। एजेंसी ने कहा कि सभी चार निविदाओं में प्रत्येक निविदा में भाग लिया और सभी तीन जेवी ने निविदाएं हासिल कीं। तीनों संयुक्त उद्यमों ने यूरोटेक एनवायरनमेंट प्राइवेट लिमिटेड को चार निविदाओं से संबंधित कार्य का “उप-अनुबंध” दिया।