
कानपुर। कानपुर-भोपाल के बीच प्रस्तावित इकोनॉमिक कॉरिडोर (एक्सप्रेस-वे) के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया अगले 1-2 महीने में शुरू हो जाएगी। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के प्रॉजेक्ट मैनेजर पंकज यादव ने बताया कि इस एक्सप्रेस-वे को नौबस्ता के पास कानपुर रिंग रोड से जोड़ा जाएगा।
रिंग रोड को उन्नाव में कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेस-वे से भी कनेक्ट किया जाएगा। यानि लखनऊ से कानपुर होते हुए भोपाल तक सीधी 4 लेन रोड मिलेगी। कानपुर से महोबा के बीच काम 2026 के अंत तक शुरू होने की उम्मीद है।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लखनऊ, कानपुर-भोपाल इकॉनमिक कॉरिडोर बनाने का ऐलान किया था। कानपुर से भोपाल की दूरी नए एक्सप्रेस-वे से 500 किलोमीटर के आसपास होगी। ये कानपुर से हमीरपुर, महोबा होते हुए मध्य प्रदेश के छतरपुर, सागर, विदिशा और भोपाल तक जाएगा।
4-लेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे कानपुर के नौबस्ता (रिंग रोड) से शुरू होकर महोबा के कबरई तक जाएगा। ये दूरी 112 किमी होगी। प्रॉजेक्ट मैनेजर ने बताया कि कबरई तक एक्सप्रेस-वे बनाने का जिम्मा कानपुर डिविजन के पास होगा। कबरई से सागर के बीच एक्सप्रेस-वे बनाने का काम एनएचएआई की छतरपुर डिविज़न करेगी।
प्रॉजेक्ट मैनेजर के अनुसार, जमीन अधिग्रहण और सिविल निर्माण के काम के लिए लागत का आकलन किया जा रहा है। भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी होने में 6-7 महीने लगेंगे। 80-90% जमीन अधिग्रहण होने के बाद निर्माण की प्रक्रिया शुरू होगी। हमीरपुर से महोबा के बीच जमीन अधिग्रहण के लिए जरूरी धारा-3 कैपिटल ए अधिसूचित कर दी गई है।
कानपुर में यह प्रक्रिया जल्द पूरी हो जाएगी। 21 दिनों में आपत्तियां ली जाएंगी। आपत्तियों के निस्तारण के बाद धारा-3डी की प्रक्रिया शुरू कर जमीन को भारत सरकार में निहित किया जाता है और मुआवजे की प्रक्रिया शुरू होती है। इसके बाद अवॉर्ड घोषित कर मुआवजा बांटना शुरू किया जाता है।
कानपुर-सागर नैशनल हाइवे-34 सिर्फ 2 लेन है। कानपुर के हमीरपुर के बीच इस हाइवे पर बुंदेलखंड से आने वाले ट्रकों और डंपरों का बड़ा लोड है। इस हाइवे पर लगातार बड़े पैमाने पर हादसे होते रहे हैं और बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुई हैं। फिलहाल कानपुर से भोपाल पहुंचने में लगभग 12 घंटे और लखनऊ से भोपाल पहुंचने में 14 घंटे लगते हैं। जानकारों का मानना है कि नया एक्सप्रेस-वे बन जाने पर यात्रा का समय घटकर आधा रह जाएगा।