भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के नाम की सिफारिश करना एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रक्रिया न्यायपालिका में निरंतरता और स्थिरता को सुनिश्चित करने में मदद करेगी।
कौन हैं जस्टिस संजीव खन्ना?
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के 10 नवंबर, 2024 से 13 मई, 2025 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य करने की उम्मीद है। सीजेआई के बाद सुप्रीम कोर्ट में सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के रूप में, न्यायमूर्ति खन्ना का जनवरी 2019 में शीर्ष अदालत में पदोन्नत होने के बाद से एक उल्लेखनीय न्यायिक करियर रहा है। सुप्रीम कोर्ट में उनकी नियुक्ति ने विवाद खड़ा कर दिया, क्योंकि उन्होंने उम्र और उम्र दोनों में 33 वरिष्ठ न्यायाधीशों को नजरअंदाज कर दिया था। अनुभव। हालाँकि, उनकी नियुक्ति के कुछ महीनों के भीतर ही यह मुद्दा शांत हो गया। प्रसिद्ध न्यायमूर्ति हंस राज खन्ना के भतीजे, न्यायमूर्ति खन्ना, जिन्होंने आपातकाल के दौरान विरोध में इस्तीफा दे दिया था, ने अपने न्यायिक कार्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का करियर वास्तव में प्रेरणादायक है। उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में 14 वर्षों तक कार्य किया और उनकी विशेषज्ञता कराधान और वाणिज्यिक कानूनों में है।
करियर
- न्यायिक अनुभव: उच्च न्यायालय में 14 वर्षों का अनुभव, जिसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए।
- शिक्षा: खन्ना ने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की और 1983 में वकील के रूप में प्रैक्टिस शुरू की।
- प्रारंभिक करियर: उन्होंने दिल्ली की जिला अदालतों में कार्य करना शुरू किया और बाद में संवैधानिक कानून, मध्यस्थता, प्रत्यक्ष कर, और कंपनी कानून में विशेषज्ञता हासिल की।
- महत्वपूर्ण निर्णय: खन्ना के द्वारा दिए गए कई निर्णयों ने भारतीय कानून व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं।
उनकी इस व्यापक अनुभव के साथ, न्यायमूर्ति खन्ना का सुप्रीम कोर्ट में कार्यकाल न्यायपालिका के लिए एक नई दिशा दे सकता है।
मुख्य बिंदु:
- न्यायमूर्ति संजीव खन्ना: सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति न्यायपालिका के लिए महत्वपूर्ण होगी।
- सेवानिवृत्ति: सीजेआई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे, और उनके पिता वाईवी चंद्रचूड़ भी एक प्रमुख न्यायिक व्यक्तित्व रहे हैं।
- शपथ ग्रहण: चंद्रचूड़ ने 17 दिसंबर, 2022 को पद की शपथ ली थी और तब उन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की थी, जो उनके आदर्शों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
महत्व:
- यह सिफारिश न्यायपालिका में पारदर्शिता और गुणवत्ता को बनाए रखने में सहायक होगी।
- न्यायमूर्ति खन्ना की नियुक्ति से न्यायालय में अनुभव और समझ का विस्तार होगा।