नोएडा: नोएडा सहित दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के छह प्रमुख बिल्डरों पर आयकर विभाग के इन्वेस्टिगेशन विंग की जांच छह दिन तक चलने के बाद मंगलवार देर रात पूरी हो गई। जांच के दौरान आयकर विभाग की टीम को 1000 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी से जुड़े दस्तावेज मिले हैं। साथ ही 600 करोड़ रुपये की संपत्तियां कैश में बेचने के साक्ष्य भी मिले हैं। विभाग अब इन संपत्तियों को खरीदने वालों 500 लोगों की छानबीन करने की तैयारी में जुट गया है।
चार जनवरी से शुरू हुई आयकर विभाग की जांच में बड़ी संख्या में कर चोरी के दस्तावेज मिले हैं। जानकारी के मुताबिक भूटानी समूह के अलावा लॉजिक्स, एडवांट, ग्रांडस्लैम, ग्रुप-108, बुलमैन रियलिटी के कॉरपोरेट ऑफिस और प्रॉजेक्ट साइटों पर सर्वे के दौरान ये दस्तावेज जब्त किए गए हैं। इन बिल्डरों के कॉरपोरेट दफ्तर में मौजूद कंप्यूटर की हार्डडिस्क की जांच में कैश ट्रांजैक्शन के बड़ी मात्रा में मामले पकड़े गए हैं। इस दौरान छह करोड़ रुपये कैश और पांच करोड़ रुपये के सोने के गहने मिले। आयकर विभाग ने इन्हें जब्त कर बिल्डरों से जवाब देने को कहा है।
सभी छह बिल्डर कंपनियां रिहाइशी और व्यावसायिक प्रॉजेक्टों का निर्माण करती हैं। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बिल्डर कंपनियों पर अब तक की आयकर विभाग की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। इन बिल्डर कंपनियों के 40 ठिकानों पर जांच में करीब 400 अधिकारियों और कर्मियों की टीम ने किया है। जांच के दौरान भारी मात्रा में आयकर चोरी का मामला पकड़े जाने के बाद इसका साक्ष्य देने के लिए बिल्डर्स से कहा गया है।
जांच के दौरान जो दस्तावेज इन्वेस्टिगेशन टीम के हाथ लगे हैं, उसमें कई चौंकाने वाले नाम सामने आए हैं। जिन 500 लोगों ने लगभग एक करोड़ रुपये कैश देकर इन बिल्डरों से घर खरीदा है। उनमें कई के पास आधार कार्ड व पैन कार्ड भी नहीं है। यह बात बिल्डरों के पास बरामद हुए करारपत्र में सामने आई है। घर खरीद के करारपत्र में सिर्फ डमी नाम लिखा है, लेकिन उनके घर के स्थायी पते से लेकर बैंक डिटेल नहीं है। ऐसे लोगों की पड़ताल अब आयकर विभाग नए सिरे से करने जा रहा है। आयकर टीम ने जांच के दौरान ऐसे सैकड़ों करारपत्र जब्त किए हैं।