अयोध्या के हनुमान गढ़ी मंदिर के मुख्य पुजारी महंत राजू दास और जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) नीतीश कुमार के बीच बहस के बाद महंत के पुलिस सुरक्षा गनर को हटा दिया गया। उत्तर प्रदेश के मंत्रियों सूर्य प्रताप शाही और जयवीर सिंह के सामने तीखी नोकझोंक हुई, जिन्हें सत्तारूढ़ भाजपा ने हाल के लोकसभा चुनावों में फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र, जिसके अंतर्गत अयोध्या आता है, में पार्टी की करारी हार के कारणों का पता लगाने का काम सौंपा था।
पुजारी ने कहा कि उन्होंने बैठक में जोर देकर कहा कि भाजपा की हार के लिए अयोध्या जिला प्रशासन भी ‘समान रूप से दोषी’ था, और भगवा पार्टी के दो बार के सांसद लल्लू सिंह की हार के लिए अकेले पार्टी कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। इस सीट से उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद से था। महंत दास ने कहा कि रात के करीब 11 बजे थे जब मेरी डीएम से बहस हो गई और डीएम, एसएसपी के साथ तुरंत बैठक छोड़कर चले गए। मैं दो मिनट बाद बाहर निकला, तो देखा कि मेरी सुरक्षा के लिए तैनात पुलिस गनर अब वहां नहीं था। मुझे बताया गया कि गनर को तुरंत वापस बुला लिया गया है।
उन्होंने आगे कहा कि वह इस संबंध में किसी वरिष्ठ अधिकारी को नहीं लिखेंगे और आरोप लगाया कि ‘संतों की सरकार’ में संतों को ‘अपमानित’ किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मठ के मुख्य पुजारी के रूप में भी कार्य करते हैं। भाजपा की हार के लिए अयोध्या जिला कैसे जिम्मेदार है, इस पर महंत राजू दास ने दावा किया कि चुनाव से ठीक पहले, प्रशासन ने लोगों को नोटिस देकर पुनर्विकास कार्यों के लिए अपनी संपत्ति खाली करने का निर्देश दिया और इससे भाजपा के खिलाफ ‘गुस्सा’ पैदा हुआ।
डीएम ने अपनी ओर से कहा कि हनुमान गढ़ी के मुख्य पुजारी लोगों को ‘धमकी’ देकर गनर का ‘दुरुपयोग’ कर रहे थे। डीएम नितीश कुमार ने कहा कि उनके अनुरोध पर उन्हें सुरक्षा दी गई थी कि उन्हें जान का खतरा है। इसके अलावा, जब से हमें पता चला कि राजू दास के खिलाफ 2013, 2017 और 2023 में तीन आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे, तब से उनके तीन गनर को हटाने की प्रक्रिया चल रही थी। दो गनर वापस ले लिए गए थे और तीसरा अब वापस ले लिया गया है।