वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण में ढोल ताशा बजने का निर्णय एक दिलचस्प और सांस्कृतिक पहल है। आमतौर पर, अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में पारंपरिक संगीत और कार्यक्रम होते हैं, लेकिन इस बार भारत की सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान देते हुए ढोल ताशा की धुन बजाने का निर्णय लिया गया है। यह अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने का एक अनूठा तरीका है।
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब शपथ लेंगे तो वो भारतीय ढोल ताशा भी सुनेंगे। ये पहली बार अमेरिका के इतिहास में हो रहा है जब किसी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में ढोल ताशा बजाया जाएगा। ट्रंप प्रशासन की तरफ से इस शपथग्रहण में एक भारतीय अमेरिकी बैंड को बुलावा भेजा गया है। ये अमेरिका में मौजूद भारतीय अमेरिकी समुदाय के लिए बेहद ही गौरव का पल है।
अमेरिका के इतिहास में आज तक जो हुआ नहीं है, वो होने जा रहा है। पूरी टीम पूरे जोर शोर से तैयारी में लगी है। पिछले एक महीने से तैयारी चल रही है, जब से ढोल और ताशे बजाने वालो को पता चला कि हमें यहां आना है, उनकी खुशी का ठिकाना नहीं हैं। इसके पहले ये ढोल ताशा बैंड अमेरिका में होने वाले कई ऐतिहासिक कार्यक्रमों में शामिल हो चुका है। लेकिन ऐसा पहली बार है जब अमेरकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में एक ढोल ताशा बैंड को बुलाया गया है। ये वाकई में हर भारतीय के लिए गौरव का पल है।
ढोल ताशा की धुन का बजाना दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाने में मदद करेगा और भारतीय संस्कृति का सम्मान बढ़ाएगा। अमेरिका में भारतीय समुदाय की बढ़ती उपस्थिति और उनके योगदान को भी यह सम्मानित करता है। यह दिखाता है कि भारतीय संस्कृति का प्रभाव और स्वीकार्यता दुनिया भर में बढ़ रही है। यह निर्णय अमेरिका की विविधता और समावेशी संस्कृति को भी दर्शाता है, जहां विभिन्न संस्कृतियों और धरोहरों का स्वागत किया जाता है। अमेरिका में भारतीय संस्कृति की स्वीकार्यता और महत्व बढ़ रहा है, और इस तरह के सांस्कृतिक आदान-प्रदान से वैश्विक स्तर पर बेहतर समझ और सम्मान बढ़ेगा।