
चेन्नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने केंद्रीय एमएसएमई मंत्री जीतन राम मांझी को पत्र लिखकर सूचित किया कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना को उसके मौजूदा स्वरूप में लागू नहीं करेगी। मुख्यमंत्री स्टालिन ने अपने पत्र में यह स्पष्ट किया कि तमिलनाडु ने कारीगरों और हस्तशिल्पियों के लिए एक अधिक समावेशी और सामाजिक न्याय आधारित योजना तैयार करने का निर्णय लिया है, जो जाति, समुदाय, या अन्य किसी आधार पर भेदभाव नहीं करती है।
एम के स्टालिन ने जीतन राम मांझी को पत्र लिखते हुए कहा कि तमिलनाडु में कारीगरों और श्रमिकों के कल्याण के लिए पहले से एक व्यापक योजना बनाई गई है, जो समाज के सभी वर्गों को समान अवसर देती है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना में संशोधन की मांग करती है, ताकि इसे राज्य की ज़रूरतों के हिसाब से और बेहतर तरीके से लागू किया जा सके। मुख्यमंत्री ने इस पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी संदर्भित किया, जिसमें उन्होंने इस साल चार जनवरी को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर विश्वकर्मा योजना के सुधार की बात की थी।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और हस्तशिल्पियों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है, ताकि वे अपनी कला और शिल्प में और बेहतर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें और अपने उत्पादों को बाजार में बेहतर तरीके से पेश कर सकें। हालांकि, तमिलनाडु सरकार ने इस योजना को अपने राज्य की सामाजिक और सांस्कृतिक आवश्यकताओं के अनुरूप संशोधित करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री स्टालिन का कहना है कि तमिलनाडु सरकार ने एक ऐसी योजना तैयार की है जो समानता और समावेशन को बढ़ावा देती है, और किसी भी प्रकार के जातिगत भेदभाव से मुक्त है। इसके तहत राज्य सरकार कारीगरों और श्रमिकों को आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक रूप से सशक्त बनाने के उपायों पर काम करेगी।
स्टालिन ने यह स्पष्ट किया कि राज्य सरकार ने पहले ही प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के मौजूदा स्वरूप में कुछ संशोधन की मांग की थी। इस योजना में सुधार की जरूरत को महसूस करते हुए, तमिलनाडु सरकार ने कारीगरों की समाज में स्थिति को और बेहतर बनाने और उनके अधिकारों का सम्मान करने के उद्देश्य से एक नई और समावेशी योजना पर काम करने का निर्णय लिया है।