1984 सिख दंगे में फैसला सुनाएगा कोर्ट

नई दिल्ली। राउज एवेन्यू कोर्ट आज 1984 के सिख विरोधी दंगे में दोषी करार दिए गए कांग्रेस नेता सज्जन कुमार की सजा पर फैसला सुनाएगा। स्पेशल जज कावेरी बावेजा सजा देने के मामले पर सुनवाई करेंगी। इससे पहले कोर्ट ने 31 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामला 1 नवंबर, 1984 का है, जिसमें पश्चिमी दिल्ली के राज नगर में सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह की हत्या कर दी गई थी। शाम को करीब चार-साढ़े चार बजे दंगाइयों की भीड़ ने पीड़ितों के राज नगर इलाके स्थित घर पर लोहे के सरियों और लाठियों से हमला कर दिया था। शिकायतकर्ताओं के मुताबिक इस भीड़ का नेतृत्व सज्जन कुमार कर रहे थे, जो उस समय बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस सांसद थे।

दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 1984 के सिख विरोधी दंगे से जुड़े 6 मामलों में बरी किए गए आरोपियों के खिलाफ वह अपील दाखिल करेगी। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएस ओका की अगुवाई वाली बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। दिल्ली सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि बरी किए गए आरोपियों के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर करने का निर्णय लिया गया है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि दिल्ली सरकार 6 हफ्तों के भीतर अपील दायर करे और इसे चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए।

याचिकाकर्ता गुरलाड सिंह काहलों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एच. एस. फूलका ने दलील दी कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के साथ मिलीभगत में था। ये सामान्य मामले नहीं हैं। इन मामलों में लीपापोती की गई और राज्य ने ठीक से अभियोजन नहीं किया। ये अपराध मानवता के खिलाफ हैं। 31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे। 2005 में गठित नानावटी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में 2,733 लोगों की हत्या हुई और 587 FIR दर्ज हुईं। सुप्रीम कोर्ट पहले ही दिल्ली पुलिस को इन मामलों में अपील दाखिल न करने पर फटकार लगा चुका है और कहा था कि अभियोजन को गंभीरता से किया जाना चाहिए, न कि औपचारिकता के लिए।

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