नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो पर मंथन के लिए चर्चा की। कांग्रेस की सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई कांग्रेस कार्यकारी समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में तय किया गया कि पार्टी इस चुनाव में अपनी न्याय गारंटियों के साथ जाएगी। इतना ही नहीं, बैठक में सीडब्ल्यूसी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के मेनिफेस्टो को मंजूर करने और उसे जारी करने की तारीख तय करने के लिए अधिकृत भी किया गया।
सीडब्ल्यूयी की अध्यक्षता करते हुए खरगे ने अपने संबोधन में दावा किया कि पीएम मोदी नीत बीजेपी सरकार की गारंटी का हश्र भी 2004 में ‘इंडिया शाइनिंग’ जैसा ही होगा। देश बदलाव चाहता है। कांग्रेस की ओर से कहा गया कि पार्टी अपना घोषणापत्र घर-घर तक लेकर जाएगी। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश का कहना है कि कांग्रेस का मेनिफेस्टो सिर्फ एक चुनावी घोषणापत्र नहीं, बल्कि ‘न्याय पत्र’ होगा, जो ‘घर-घर गारंटी’ लेकर जाएगा। सीडब्ल्यूसी में पार्टी की गारंटियों को जमीनी स्तर तक ले जाने के लिए रूपरेखा तैयार की है। वहीं रमेश ने दावा किया कि राहुल गांधी ने सबसे पहले ‘गारंटी’ शब्द का इस्तेमाल किया था, जिसकी नकल पीएम मोदी और बीजेपी ने की है। कांग्रेस का मेनिफेस्टो ‘भागीदारी न्याय’, ‘किसान न्याय’, ‘नारी न्याय’, ‘श्रमिक न्याय’ और ‘युवा न्याय’ पर आधारित होगा, जिसमें 25 गारंटी शामिल की गई हैं। हालांकि इनकी घोषणा खरगे और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पहले ही कर चुके हैं। बताया जाता है कि अगले कुछ दिनों के भीतर कांग्रेस अपना घोषणापत्र जारी कर सकती है।
कांग्रेस का मानना है कि उसके पांच न्याय में दी गई पांच-पांच गारंटी मौजूदा चुनाव में गेम चेंजर हो सकती हैं। के. सी. वेणुगोपाल का कहना है कि पार्टी अपने न्याय को लोगों तक पहुंचाने के लिए एक जबरदस्त अभियान चलाएगी। पार्टी इसके लिए वही मॉडल अपना सकती है, जैसे कर्नाटक और तेलंगाना चुनावों के दौरान पार्टी अपनी गारंटी को लेकर लोगों के बीच गई थी। कांग्रेस मेनिफेस्टो पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम की अध्यक्षता वाली समिति ने तैयार किया है।
खरगे का कहना है कि मेनिफेस्टो तैयार करते समिति की कोशिश रही कि हमारा घोषणापत्र सिर्फ अकादमिक कवायद न रहे, बल्कि उसमें व्यापक जन भागीदारी हो। इसके लिए संपर्क और संवाद किया गया। वेबसाइट ‘आवाज भारत की’ के जरिए लोगों से सुझाव मांगे गए। अपने संबोधन में खरगे ने राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाली गई भारत जोड़ो यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि ये यात्राएं सिर्फ राजनीतिक रूप से ही महत्वपूर्ण नहीं हैं, बल्कि हमारे राजनीतिक इतिहास में एक ऐसी कोशिश के रूप में दर्ज हो गई हैं, जो जन संपर्क का सबसे बड़ा प्रयास है। इतनी लंबी पदयात्रा लंबे समय से किसी राजनेता ने नहीं की है, जिसे कोई चाहे तो भी नजरअंदाज नहीं कर सकता।