प्रदर्शनकारी छात्रों से एक प्रतिनिधिमंडल बनाकर आयोग करेगा बात

प्रदर्शनकारी छात्र यूपीपीसीएस 2024 और आरओएआरओ भर्ती परीक्षा एक दिन और एक शिफ्ट में कराए जाने की मांग कर रहे हैं. वह परीक्षा में लागू होने वाले नॉर्मलाइजेशन का भी विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ है, इसे वह कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। आज आंदोलन के चौथे दिन भी बड़ी संख्या में अभ्यर्थी आयोग के दफ्तर के बाहर सड़कों पर बैठे हुए हैं। 

यह स्थिति विद्यार्थियों के संघर्ष और आयोग के निर्णय के प्रति गहरी असंतोष को दर्शाती है। छात्रों का यह दावा कि आयोग ने मनमाना निर्णय लिया है और उसे वापस लेने की मांग की जा रही है, इस बात का संकेत है कि वे अपने भविष्य को लेकर गंभीर चिंताओं में हैं। आयोग और प्रशासन ने छात्र नेताओं से बातचीत के लिए प्रतिनिधिमंडल भेजने की पेशकश की, लेकिन प्रदर्शनकारी छात्रों के अनुसार, केवल एक संवाद से कोई परिणाम नहीं निकलेगा जब तक कि आयोग अपना फैसला वापस नहीं लेता।

यह मामला शायद विभिन्न पक्षों के बीच विश्वास की कमी को भी दर्शाता है। छात्रों का यह कहना कि वे कोई बातचीत नहीं करना चाहते, यह बताता है कि उनका विश्वास पहले से ही आयोग की प्रक्रिया पर टूट चुका है और अब वे किसी हल के रूप में सिर्फ फैसले की पुनरावलोकन की मांग कर रहे हैं। प्रशासन का यह प्रयास कि वह मध्यस्थता करने को तैयार है, उस स्थिति को सुधारने की दिशा में एक कदम हो सकता है, लेकिन जब तक मुख्य मुद्दे पर ठोस समाधान नहीं मिलता, तब तक संघर्ष जारी रह सकता है।

अंततः यह आंदोलन छात्रों की वैध चिंताओं और उनके भविष्य को लेकर असंतोष का परिणाम प्रतीत होता है, और अब यह आयोग और प्रशासन पर निर्भर है कि वे इन चिंताओं का सम्मान करते हुए एक सटीक और त्वरित समाधान पेश करें।

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