असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने रविवार को एक विवादास्पद बयान देते हुए दावा किया कि बांग्लादेशी घुसपैठिए झारखंड की संस्कृति और समाज के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। उनका कहना था कि ये घुसपैठिए राज्य की सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने की दिशा में काम कर रहे हैं। शर्मा ने झारखंड में सत्तारूढ़ झामुमो (झारखंड मुक्ति मोर्चा) नीत गठबंधन सरकार पर आरोप लगाया कि वे इन घुसपैठियों को ‘संरक्षण’ दे रहे हैं, जिससे राज्य की स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
यह बयान विशेष रूप से राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि असम में भी हाल के वर्षों में बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दे को लेकर गंभीर विवाद उठ चुके हैं। मुख्यमंत्री हिमंत शर्मा ने इस तरह के मुद्दों पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया देने के लिए जाना जाता है, और उन्होंने अपनी पार्टी के तहत असम में घुसपैठ के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं, जैसे कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) प्रक्रिया।
झारखंड में इस मुद्दे पर उनकी टिप्पणियों से राजनीतिक हलचल बढ़ सकती है, क्योंकि झामुमो नीत गठबंधन सरकार को अपनी नीति और राजनीतिक दृष्टिकोण पर स्पष्टता देना पड़ेगा। राज्य की राजनीतिक स्थिति में ऐसे आरोपों से तनाव बढ़ सकता है, और यह आम जनता के बीच विभिन्न विचारधाराओं को और तीव्र कर सकता है।
शर्मा ने आरोप लगाया, “आज इस क्षेत्र में हिंदुओं की आबादी 1951 में 90 प्रतिशत से घटकर 67 प्रतिशत रह गई है जबकि इस अवधि में मुस्लिम आबादी बढ़कर 31 प्रतिशत हो गई है। झामुमो के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार वोट बैंक के लिए घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। यह विवाद झारखंड और अन्य राज्यों में इस प्रकार की घुसपैठ की समस्या को लेकर बढ़ती चिंताओं को भी उजागर करता है, जो भारतीय राजनीति में एक संवेदनशील और विभाजनकारी मुद्दा बन चुका है।