किसानों और पुलिस के बीच झड़प

पंजाब और हरियाणा की खनौरी सीमा के पास किसानों और पुलिस के बीच झड़प में 21 वर्षीय शुभकरण सिंह की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि शुभकरण के परिवार के पास 2 एकड़ जमीन हैफसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी कानून सहित अपनी मांगों लेकर बीते कुछ दिनों से किसानों को विरोध प्रदर्शन जारी है। किसानों का प्रदर्शन लगातार हिंसक होता रहा है। बुधवार को पंजाब और हरियाणा को अलग करने वाली खनौरी सीमा के पास किसानों और पुलिस के बीच झड़प हो गई। इस दौरान 21 वर्षीय शुभकरण सिंह की जान चली गई। मौत के आठ दिन पहले शुभकरण दिल्ली में किसानों के मार्च में शामिल होने के लिए पंजाब के बठिंडा जिले के बालोके गांव में अपना घर छोड़ गए।

बताया जा रहा है कि शुभकरण की मौत का सही कारण अभी पता नहीं चल पाया है। किसानों ने सरकार से उनके परिवार के लिए मुआवजे की घोषणा करने की मांग करते हुए शव परीक्षण भी नहीं करने दिया जा रहा है। वे मुआवजे के तौर पर केंद्र सरकार से नौकरी की मांग कर रहे हैं।पड़ोसियों ने बताया कि शुभकरण के परिवार के पास करीब 2 एकड़ जमीन है। उनकी मां की मौत पहले ही चुकी है और उनके पिता मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं। शुभकरण की दो बहनें हैं, एक शादीशुदा है और दूसरी पढ़ाई कर रही है। पड़ोसियों के अनुसार युवा किसान ने अपनी बहन की शादी के लिए कर्ज लिया था।

किसानों को राष्ट्रीय राजधानी की ओर आगे नहीं बढ़ने के लिए हरियाणा पुलिस ने पंजाब के साथ अपनी सीमाओं को मजबूत कर दिया है। पुलिस किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ रही है। किसानों का आरोप है कि कल झड़प के दौरान रबर की गोलियों का भी इस्तेमाल किया गया। पुलिस ने अपनी ओर से कहा है कि प्रदर्शनकारियों द्वारा पथराव और लाठियां फेंकने के बाद कई पुलिसकर्मियों को चोटें आईं।

संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन में शहीद हुए किसानों की सूची सरकार को सौंपी है। रिपोर्ट के अनुसार किसान आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के पास औसतन 2.94 एकड़ से अधिक भूमि नहीं थी। यह आंकड़ा उन दावों को खारिज करता है जिसमें कहा जा रहा है था कि किसान आंदोलन में अधिकांश बड़े किसान ही शामिल हो रहो है।

किसान अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी का कानून, पेंशन लाभ और फसल बीमा सहित कई मांगों को लेकर दिल्ली की ओर मार्च कर रहे हैं। एमएसपी सरकार द्वारा तय की गई कीमत है और इसका उद्देश्य किसानों को अपनी उपज की संकटपूर्ण बिक्री से बचाना है।

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