छांगुर बाबा ने 50 युवकों की फोर्स की थी तैयार

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण रैकेट के मास्टरमाइंड जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा की गिरफ्तारी के बाद जैसे-जैसे ATS की जांच आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे उसके काले साम्राज्य की परतें खुल रही हैं। अब जो बड़ा खुलासा हुआ है, वह उसकी निजी कमांडो फोर्स को लेकर है। बताया जा रहा है कि छांगुर बाबा की 50 युवकों की कमांडो फोर्स बाबा के लिए कुछ भी करने को तैयार थी। फिलहाल छांगुर बाबा और उसकी साथी नीतू उर्फ नसरीन एक हफ्ते की पुलिस रिमांड पर है। इसमें एटीएस धर्मांतरण और कमांडो फोर्स समेत कई एंगल पर पूछताछ कर छांगुर बाबा के साम्राज्य की जड़े खोदने की कोशिश कर रही है।

मिली जानकारी के मुताबिक, यूपी एटीएस की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में 50 युवकों का जिक्र किया गया है। छांगुर बाबा ने करीब 50 युवकों की एक विशेष फोर्स तैयार कर रखी थी, जो उसके इशारे पर काम करते थे। ये युवक न सिर्फ धर्मांतरण की गतिविधियों में लगे थे, बल्कि स्थानीय स्तर पर भय, दबाव और हिंसा फैलाने में भी बाबा के हथियार बने हुए थे। ये सभी युवक बाबा की बलरामपुर स्थित आलीशान कोठी में ही रहते थे। उनके लिए अलग-अलग कमरे, खाना-पीना, कपड़े से लेकर हर जरूरत की चीजें छांगुर बाबा द्वारा मुहैया कराई जाती थीं। कोठी में ही इनका ब्रेनवॉश होता था और उन्हें बाबा का आदेश अंतिम फरमान माना जाता था।

बताया यह भी जा रहा है कि जांच में सामने आया कि ये युवक कई बार स्थानीय निवासियों के साथ मारपीट, धमकी और जबरदस्ती धर्मांतरण के मामलों में संलिप्त रहे हैं। कुछ मामलों में शिकायतें थाने तक भी पहुंचीं, लेकिन छांगुर बाबा की तगड़ी पकड़ के चलते कोई कार्रवाई नहीं हो सकी थी। सूत्रों के अनुसार, छांगुर का एक तरह से साया बने ये युवक अपने-आप में एक अनौपचारिक सुरक्षा दस्ते की तरह काम कर रहे थे। इन युवकों के बारे में कहा गया है कि वे बाबा के हर आदेश पर कुछ भी करने को तैयार रहते थे।

छांगुर बाबा खुद को एक धर्मगुरु के रूप में पेश करता था और युवकों को आध्यात्मिक सेवक बताकर अपने पास रखता था। लेकिन पूछताछ में पता चला कि इन युवकों को बाकायदा ट्रेनिंग जैसी प्रक्रिया से गुज़ारा गया था। इनकी वफादारी इस कदर थी कि कोई भी आदेश चाहे कानूनी हो या गैरकानूनी वे बिना सवाल माने जाते थे।

अब एटीएस इन सभी 50 युवकों की पहचान, पृष्ठभूमि और उनके बाबा से जुड़े कार्यों की विस्तृत जांच में जुटी है। इन युवकों का इस्तेमाल कहां-कहां किया गया। धर्मांतरण के किन-किन मामलों में इनकी भूमिका रही है, इन बिंदुओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो कुछ युवक अन्य राज्यों से लाए गए थे और उन्हें यहां रखकर मानसिक और वैचारिक रूप से तैयार किया गया था। एटीएस इस बात की भी पड़ताल कर रही है कि क्या इस कमांडो फोर्स का इस्तेमाल किसी अंतरराष्ट्रीय एजेंडे के लिए किया गया था।

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