नयी दिल्ली। इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि सोशल मीडिया पर भ्रामक सूचनाएं फैलाने या डीप फेक जैसे मुद्दों से कठोरता से निपटने के लिए नियमों में बदलाव तथा सोशल मीडिया मंचों की जवाबदेही तय करने की व्यवस्था की जा रही है ताकि इस समस्या पर अंकुश लगाया जा सके। वैष्णव ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि आज सोशल मीडिया, इंटरनेट जीवन का जरूरी हिस्सा बन गया है और व्यवहारिक रूप से हम कई मामलों के लिए इन पर निर्भर हैं लेकिन सोशल मीडिया पर भ्रामक सूचनाएं फैलाना या डीप फेक जैसे मुद्दे खतरनाक है जिन पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं।
वैष्णव ने कहा कि इसके लिए नियमों में बदलाव किया जा रहा है तथा सोशल मीडिया मंचों में जवाबदेही तय करने की व्यवस्था की जा रही है ताकि इस पर रोक लगाई जा सके। उन्होंने कहा कि आज सोशल मीडिया मंच खुद ही अपने में लगातार बदलाव कर रहे हैं और इसके लिए उनके पास प्रौद्योगिकी है। उन्होंने कहा कि तीस साल पहले की और आज की स्थिति में अंतर है। ‘‘आज वैश्विक नियामक समुदाय इस बात पर सहमत हो रहा है कि सोशल मीडिया मंच को अपने यहां डाली गई सामग्री के लिए अधिक जवाबदार होना होगा।’’
वैष्णव ने कहा कि डिजिटल इकॉनामी के लिए एक संस्थागत रूपरेखा बनाई जा रही है। इसके तहत दूरसंचार विधेयक, डेटा संरक्षण विधेयक को मंजूरी दी जा चुकी है तथा सभी पक्षों से यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार बातचीत की जा रही है कि इंटरनेट पूरी तरह भरोसेमंद हो। वैष्णव ने कहा कि सोशल मीडिया मंचों को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और इस बारे में सदन में भी आम सहमति बननी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि सोशल मीडिया में किसी के भी बारे में कुछ भी लिख कर उसकी प्रतिष्ठा धूमिल की जाए और इस बारे में सहमति बनने पर और अधिक कड़े कानून बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘नियम-कायदों और पूरे कार्यान्वयन तंत्र को पूरी तरह से डिजिटल तंत्र में परिवर्तित किया जा रहा है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए लगभग हर हितधारक के साथ मिलकर काम कर रहे हैं कि हमारा इंटरनेट सुरक्षित है, यह विश्वसनीय है और यह वही कर रहा है जो इरादा है।’’