
नई दिल्ली। भारत के एक अपीलीय ट्रिब्यूनल ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर को भ्रष्टाचार का दोषी पाया है। ट्रिब्यूनल के मुताबिक, चंदा ने विडियोकॉन समूह को ₹300 करोड़ का कर्ज मंजूर करने के बदले में ₹64 करोड़ की रिश्वत ली। यह रकम उनके पति दीपक कोचर की कंपनी को दी गई थी, जो विडियोकॉन से जुड़ी थी।
जुलाई 2025 में आए फैसले में ट्रिब्यूनल ने साफ किया कि रिश्वत का लेन-देन एकदम साफ था। आईसीआईसीई बैंक ने जब 27 अगस्त, 2009 को विडियोकॉन को ₹300 करोड़ दिए, तो अगले ही दिन विडियोकॉन की कंपनी एसईपीएल ने दीपक कोचर की कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल्स (एनआरपीएल) को ₹64 करोड़ भेज दिए। ट्रिब्यूनल ने इसे “क्विड प्रो क्वो” (एक तरकीब) बताया, जहां कर्ज के बदले रिश्वत दी गई।
ट्रिब्यूनल ने चंदा कोचर पर बैंक के नियम तोड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कर्ज मंजूर करते वक्त यह नहीं बताया कि उनके पति का विडियोकॉन के साथ कारोबारी रिश्ता है। यह बैंक के “हितों के टकराव” (कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट) नियमों का उल्लंघन था। ट्रिब्यूनल ने कहा, “चंदा कोचर यह नहीं कह सकतीं कि उन्हें अपने पति के कामकाज की जानकारी नहीं थी
इस मामले में जांच एजेंसी ईडी ने कोचर दंपत्ति की ₹78 करोड़ की संपत्ति जब्त की थी, जिसे ट्रिब्यूनल ने सही ठहराया। इसमें मुंबई के चर्चगेट स्थित उनका फ्लैट भी शामिल है, जिसे विडियोकॉन से जुड़ी कंपनियों के जरिए खरीदा गया था। हालांकि, ₹10.5 लाख नकदी वापस कर दी गई, क्योंकि उसका स्रोत वैध पाया गया।
चंदा और दीपक कोचर फिलहाल जमानत पर बाहर हैं, लेकिन उन पर मुकदमा चल रहा है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि उन्होंने धोखाधड़ी की और बैंक को नुकसान पहुंचाया। विडियोकॉन को दिया गया कर्ज बाद में डूब गया, जिससे आईसीआईसीआई बैंक को भारी नुकसान हुआ।