सप्रीम कोर्ट में केंद्र दायर करेगी समीक्षा याचिका

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राज्य विधानसभाओं की ओर से पास विधेयकों पर फैसला के लिए राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए समय सीमा तय करने को लेकर फैसला सुनाया था। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सरकार की ओर से समीक्षा याचिका दायर किए जाने की संभावना है। इस संबंध में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि समयसीमा की समीक्षा का अनुरोध करने के अलावा, सरकार शीर्ष अदालत के इस आदेश की भी समीक्षा कर सकती है। जिसमें कोर्ट ने कहा था कि अगर राज्यपाल द्वारा भेजे गए विधेयक को राष्ट्रपति रोककर रखते हैं, तो राज्य सरकारें सीधे संपर्क कर सकती हैं।

सूत्रों ने बताया कि इस मुद्दे पर सरकार की ओर से सर्वोच्च अदालत में एक समीक्षा याचिका दायर की जाएगी। उन्होंने बताया कि जिस आधार पर समीक्षा याचिका दायर की जाएगी, उस पर विचार किया जा रहा है और सरकार के शीर्ष अदालत पहुंचने के बाद ही इसके बारे में जानकारी हो पायेगी। सूत्रों ने कहा कि अगर सरकार कोर्ट से संपर्क करती है, तो समीक्षा याचिका को जस्टिस जेबी पारदीवाला और आर महादेवन की उसी पीठ के समक्ष दायर करना होगा जिसने फैसला सुनाया था।

शीर्ष अदालत के आठ अप्रैल के फैसले के बाद, तमिलनाडु सरकार ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए, सरकारी राजपत्र में 10 लंबित विधेयकों को अधिनियम के रूप में सूचित किया था। अपने आदेश में, शीर्ष अदालत ने सुझाव दिया था कि राष्ट्रपति को राज्यपाल द्वारा विचार के लिए भेजे गये विधेयकों पर प्राप्त होने की तारीख से तीन महीने के भीतर निर्णय करना चाहिये।

सरकार खासकर उस बात पर पुनर्विचार चाहती है जिसमें SC ने कहा है कि अगर राज्यपाल किसी विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजते हैं और राष्ट्रपति उस पर कोई फैसला नहीं लेते हैं, तो राज्य सरकार सीधे राष्ट्रपति से बात कर सकती है. सरकार को लगता है कि यह नियम सही नहीं है और इससे भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है। इसलिए, सरकार सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की तैयारी कर रही है।

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