
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट अजमेर शरीफ दरगाह के खातों का ऑडिट कैग से कराने का इच्छुक है। अदालत ने कैग के वकील से इस बारे में निर्देश लेने और अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। दरगाह के वकील ने बताया कि उन्हें ऑडिट की शर्तें नहीं बताई गई हैं। अदालत इस मामले पर 7 मई को फिर सुनवाई करेगी। दरगाह ने कैग के तरीके पर सवाल उठाए हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम मामले में अजमेर शरीफ दरगाह के खातों की जांच नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (कैग) से कराने की इच्छा जताई है।
कैग के वकील से कहा कि वे इस मुद्दे पर जरूरी निर्देश लें और अदालत को अपना नजरिया बताएं। अदालत यह जानना चाहती है कि कैग इस मामले में क्या करने वाला है। दिल्ली हाईकोर्ट में अजमेर शरीफ दरगाह के वकील ने कहा कि उन्हें ऑडिट की शर्तें नहीं बताई गई हैं। इस पर न्यायाधीश ने कैग के वकील से पूछा, ‘क्या आपने ऑडिट शुरू कर दिया है या नहीं? आपके जवाब में कहा गया है कि ऑडिट अभी तक शुरू नहीं हुआ है।
जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा, ‘क्या मुझे यह बात रिकॉर्ड करनी चाहिए? आप निर्देश लीजिए, मैं ऑडिट कराने का इच्छुक हूं। आप अपने रुख को बेहतर तरीके से स्पष्ट करें और आप जो कर रहे हैं उस पर निर्देश लीजिए।’ इसका मतलब है कि अदालत चाहती है कि कैग बताए कि वह ऑडिट कैसे करेगा। अदालत ने यह भी कहा कि दरगाह के वकील का यह कहना सही है कि उन्हें अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए।
अदालत ने कहा, ‘दरगाह के वकील दलील बहुत स्पष्ट है। उन्हें प्रतिनिधित्व का अधिकार है, लेकिन यह मौका नहीं आया है क्योंकि आप (कैग) ने ऑडिट की शर्तें नहीं दी हैं। इसका मतलब है कि कैग को पहले ऑडिट की शर्तें बतानी चाहिए, ताकि दरगाह के वकील अपनी बात रख सकें। अब इस मामले पर अगली सुनवाई 7 मई को होगी। अदालत यह देखेगी कि कैग इस मामले में क्या रुख अपनाता है।
दरगाह के वकील ने यह भी कहा कि कैग ने ऑडिट की शर्तें बताए बिना ही तीन सदस्यों की एक ऑडिट टीम बना दी। दरगाह का कहना है कि यह सही नहीं है। दरअसल, अदालत अजमेर दरगाह की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। इस याचिका में कहा गया है कि कैग के एक अधिकारी ने बिना किसी सूचना के दरगाह के ऑफिस में ‘गैरकानूनी तलाशी’ की। दरगाह का कहना है कि यह तलाशी डीपीसी अधिनियम और सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन कानून के नियमों के खिलाफ है। दरगाह चाहती है कि कैग कानून के हिसाब से काम करे।